पटना, १७ अप्रैल। तपते दिन में भी बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन आज आनंद की गंगा में डुबकी लगा रहा था। अध्यक्ष समेत सम्मेलन के सभी अधिकारी और सदस्यगण एक दूसरे को बधाइयाँ देते हुए, बधाइयाँ स्वीकार करते हुए अपनी प्रसन्नाता की अभिव्यक्ति कर रहे थे। रविवार को सम्मेलन के ऐतिहासिक सभागार में, विगत २-३ अप्रैल को आयोजित हुए सम्मेलन के ४१वें महाधिवेशन की अपार सफलता और राष्ट्रीय-स्तर पर हो रही व्यापक चर्चा के उपलक्ष्य में ‘आनंदोत्सव-सह-सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। महाधिवेशन के स्वागताध्यक्ष विद्यावाचस्पति डा रवीन्द्र किशोर सिन्हा को उनके सर्वोत्तम योगदान के लिए ‘साहित्य सम्मेलन संरक्षक शिरोमणि’ सम्मान देकर अलंकृत किया गया। दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा राज कुमार नाहर को ‘संगीत शिरोमणि’ तथा रंगकर्मी अभय सिन्हा को ‘कला शिरोमणि’ अलंकरण से सम्मानित किया गया। इनके अतिरिक्त अधिवेशन में मूल्यवान योगदान देने वाले साहित्यकारों और कलाकारों को भी ‘सम्मेलन-शिरोमणि’, सम्मेलन चूड़ामणि’, सम्मेलन-रत्न’, ‘कला-रत्न’ एवं ‘सम्मेलन-सेवी’ अलंकरणों से विभूषित किया गया। सम्मानित विभूतियों को सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ तथा जूना अखाड़ा के महामण्डलेश्वर स्वामी डा उमाकांतानंद सरस्वती ने अंग-वस्त्रम और अलंकृत प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया।सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त, जियालाल आर्य, डा उपेंद्रनाथ पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय तथा अर्थ मंत्री सुनील कुमार दूबे ‘सम्मेलन शिरोमणि’ अलंकरण से विभूषित किए गए। ‘सम्मेलन चूड़ामणि’ सम्मान सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, संगठन मंत्री डा शालिनी पाण्डेय, डा अर्चना त्रिपाठी, डा सुलक्ष्मी कुमारी तथा डा पूनम आनंद को दिया गया। डा ध्रुव कुमार, डा पुष्पा जमुआर, कृष्ण रंजन सिंह, डा पल्लवी विश्वास, जय प्रकाश पुजारी, बच्चा ठाकुर, डा मेहता नगेंद्र सिंह, कुमार अनुपम,सागरिका राय, आनंद किशोर मिश्र, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, अम्बरीष कांत, डा अमरनाथ प्रसाद, आराधना प्रसाद, श्याम बिहारी प्रभाकर, प्रवीर कुमार पंकज, अमरेन्द्र कुमार, अभिजीत कश्यप, राजेश कुमार भट्ट, ज्ञानेश्वर शर्मा, माधुरी भट्ट, प्रो सुशील कुमार झा, बाँके बिहारी साव, डा सीमा यादव, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, रेखा भारती, सुमेधा पाठक, डा सुषमा कुमारी, श्वेता मिनी, मो परवेज़ आलम, पं गणेश झा, चितरंजन लाल भारती, श्रीकांत व्यास, डा आर प्रवेश, आनंद मोहन झा, सतीश कुमार राजू, शशिभूषण कुमार, संजीव कुमार मिश्र, लता प्रासर, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्त, राजेश राज, रोहित कुमार सिंह, अमित कुमार सिंह, मो इक़बाल इमाम तथा नेहाल कुमार सिंह ‘सम्मेलन-रत्न’ की उपाधि से विभूषित किए गए।महाधिवेशन में सांस्कृतिक प्रस्तुति देने वाले कलाकारों समर्थ नाहर एवं अभिषेक पाठक (गायन) , शान्तनु राय (तबला), समीर कुमार (बांसुरी),अशोक कुमार (प्रभाव उत्प्रेरक वाद्य), रणजीत कुमार (संगत) तथा नृत्य-नाटिका ‘अतीत के वातायन’ में उत्कृष्ट अभिनय के लिए, संजय सिंह, सोमा चक्रवर्ती, अमिताभ रंजन, ओम् प्रकाश, अतीश कुमार, संजय कुमार, अरविंद कुमार, आशुतोष कुमार, राजेश कुमार पाण्डेय, प्रकाश भारती, निधि राय, अर्पिता घोष, सन्तु कुमार, प्रीति कुमारी, सेंटों कुमार सहित दिनेश कुमार, कुंदन कुमार, रिंकी पाण्डेय, रौशन कुमार तथा मनोरंजन ओझा को ‘कला-रत्न’ की उपाधि प्रदान की गई। सम्मेलन कर्मियों अमरेन्द्र कुमार, कुमारी मेनका, माहेश प्रसाद, उमेश कुमार, सुनीता देवी और शंभु राम को ‘सम्मेलन-सेवी’ सम्मान प्रदान किया गया।सम्मान-समारोह के पश्चात अपने संबोधन में डा रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने कहा कि साहित्य सम्मेलन और इसके कुशल नेतृत्व की राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा और प्रशंसा हो रही है। इसी प्रकार से सम्मेलन को हिन्दी के कार्य को आगे बढ़ाना है। सम्मेलन जब १०८ वर्ष का होगा तब तक यह देश की श्रेष्ठतम साहित्यिक संस्था हो चुकी होगी। उस समय हम एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का भव्य समारोह करेंगे।सभा की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि महाधिवेशन से सम्मेलन का चतुर्दिक यश ही नहीं फैला है, अपितु इसे एक नई ऊर्जा भी मिली है। हम नूतन उत्साह से सम्मेलन के प्रकाशन-कार्य समेत अन्य कार्यों को संपादित करेंगे। मंच का संचालन कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय ने किया।