पटना, १८ अप्रैल। जैन धर्म के २४वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने बर्बर होते जा रहे मानव-समुडाय को उसके सद्गुणों से परिचित कराया। यह बताया कि प्रेम और अहिंसा का मार्ग ही मनुष्यता का मार्ग हो सकता है। समस्त प्राणी-मात्र से प्रेम और करुणा का भाव रखकर ही हम मानव-जीवन को गुणवत्तापूर्ण, आनन्दमय और सार्थक बना सकते हैं। महावीर का दर्शन सह-अस्तित्व का सिद्धांत है। इनके बताए मार्ग पर चलकर मानव जीवन अपने आत्मिक उत्कर्ष को पा सकता है।यह बातें रविवार को प्रबुद्ध हिंदू समाज के तत्त्वावधान में पटेल नगर स्थित देव पब्लिक स्कूल में आयोजित महावीर जैन एवं अम्बेडकर जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि भगवान महावीर ने जो पाठ उपदेश के माध्यम से पढ़ाए, वही शिक्षा एक अन्य रूप में बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर ने दी। उन्होंने शिक्षा पर बल दिया। वे मानते थे कि उचिर शिक्षा के अभाव और विवेक-हीनता के कारण, समाज में भेद-विभेद है। शिक्षित और संगठित होकर, समन्वय के सिद्धांत पर चलकर हम समाज में व्याप्त कुरितियों का नाश कर सकते हैं और एक समरस समाज का निर्माण कर सकते हैं। आदिकाल में जब ज्ञान अपने उत्कर्ष पर था, तब मानव-समाज आनंद में था। भेद नहीं थे। वैमनस्य नहीं था। किंतु मध्य-काल में हमारी शिक्षा और संस्कृति दोनों ही प्रभावित हुईं और भारतीय समाज रूढ़ियों और व्यसनों में ग्रस्त होता चला गया। चरित्र-निर्माण करनेवाली मूल्यवान शिक्षा के माध्यम से ही हम समाज के सभी विकारों को दूर कर सकते हैं।समाज के अध्यक्ष डा जनार्दन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस संयुक्त जयंती-समारोह में पूर्व कुलपति डा केशव प्रसाद सिंह, प्रो सुभाष प्रसाद सिन्हा, प्रो दीपक कुमार शर्मा, ई महेन्द्र शर्मा, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, कवि शैलेंद्र झा ‘उन्मन’, ई अरुण कुमार राय, अजय कुमार सिंह,नीरज कुमार, साकेत स्वरीत तथा अमित कुमार सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संस्था के महामंत्री आचार्य पाँचू राम ने अतिथियों का स्वागत तथा मंच-संचालन विद्यालय के निदेशक दिनेश कुमार देव ने किया।