प्रिया सिन्हा पटना से , २७ अप्रैल। समाज की चिता को प्राथमिकता में रखनेवाली विदुषी साहित्यकार और समाजसेविका माधुरी भट्ट आध्यात्मिक चेतना और मंगलभाव की कवयित्री हैं। युवाओं में भटकाव, संस्कार हीनता, स्त्रियों और कमज़ोरों का उत्पीड़न, अत्याचार, मानव जाती का चारित्रिक पतन कवयित्री के संवेदनशील हृदय को पीड़ित करता है। इनकी प्रखर लेखनी उत्पीड़न और हताशा के विरुद्ध उत्साह और मंगलभाव लेकर उपस्थित होती है। इनकी लेखनी आग नही उगलती, प्रेम और उत्साह की ऊष्मा प्रदान करती है।यह बातें बुधवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्त्वावधान में श्रीमती भट्ट की दो पुस्तकों ‘काव्य दर्शनी सोबती बल्लभ’ तथा ‘पूरब की ओर’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, घृणा, द्वेष और आक्रोश में तप रहे मानव-समुदाय को आज जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता है, वह है अविरल प्रेम की धारा और उत्साह के संगीत । माधुरी जी की कविताओं और गद्य-साहित्य ने यही देने की चेष्टा की है।समारोह का उद्घाटन और पुस्तकों का लोकार्पण पटना की महापौर सीता साहू ने किया। समारोह के मुख्य अतिथि और दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा राज कुमार नाहर ने कहा कि माधुरी जी की काव्य प्रतिभा मुग्धकारी है। इनके अंतर में समाज और साहित्य के प्रति गहरी निष्ठा है।सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त, संत जोसेफ कोन्वेंट की सेवा निवृत शिक्षिका मिस मेरी, अवकाश प्राप्त भा प्र से अधिकारी बच्चा ठाकुर, डा मंगला रानी, डा ध्रुव कुमार, प्रो रीता सिंह, वीणा जोशी तथा डा मुकेश कुमार ओझा ने भी पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त किए।आपने कृतज्ञता ज्ञापन में कवयित्री माधुरी भट्ट ने कहा कि उनके भीतर कविता और समाजसेवा का संस्कार अपने पिता से प्राप्त हुआ। माता के वात्सल्य और सबके प्रति करुणा के भाव ने समाजसेवा की प्रेरणा दी। उन्होंने लोकार्पित पुस्तक से कविताओं का भी पाठ किया।इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में, वरिष्ठ कवि और सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, गीत के चर्चित कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय, पंकज वसंत, डा अर्चना त्रिपाठी, जय प्रकाश पुजारी, डा शालिनी पाण्डेय, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, अश्मजा प्रियदर्शिनी, ज्योति मिश्र, गायत्री कुमार मेहता, अशोक कुमार, अर्जुन प्रसाद सिंह, नरेंद्र कुमार, इन्दु उपाध्याय, रेखा भारती, आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपने काव्य-पाठ से उत्सव को सारस्वत गरिमा प्रदान की। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया।समारोह में बाँके विहारी साव, प्रो सुशील कुमार ओझा, वरिष्ठ समाजसेवी रामाशीष ठाकुर, सुजाता मिश्र, चंद्रशेखर आज़ाद, पंकज मेहता, श्रीबाबू, दुःख दमन सिंह, पावन सिंह, अमन वर्मा, ज्योति किरण, डा विजय कुमार दिवाकर, नागेंद्र कुमार सिंह, अवध विहारी सिंह आदि हिन्दी प्रेमी उपस्थित थे।