प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट /टी॰ पी॰ एस॰ कालेज में मशरूम की खेती प्रोद्योगिकी पर कार्यशाला.स्नातकोत्तर वनस्पति विज्ञान विभाग पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय एवं वनस्पति विज्ञान विभाग टी॰ पी॰ एस॰ कॉलेज, पटना के संयुक्त तत्वाधान में इंस्टीचीयूट ऑफ इनोवेटिव रिसर्च पटना के सहयोग से इक्कीस दिवसीय मशरूम कि खेती प्रोद्योगिकी विषय पर कार्यशाला कि शुरूआत की गयी । कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो॰ उपेन्द्र प्रसाद सिंह , प्रधानाचार्य, टी॰ पी॰ एस॰ कॉलेज थे एवं मुख्य वक्ता सह प्रशिक्षक डा॰ संदीप कुमार सुमन थे। डा॰ सुमन डा॰ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर बिहार के रिसर्च एसासिएट हैं। इन्होने इसी विश्वविद्यालय से एग्रीकलचर बायोटेक्नलाजी में मास्टर एवं पी॰एच॰डी॰ की डिग्री प्राप्त किया है। मुख्य अतिथि प्रो॰ उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि मशरूम कि उत्पादन में बिहार का देश में प्रथम स्थान है। इन्होने यह भी बताया कि अभी कार्यशाला में जो छात्र-छात्राए भाग ले रहे है वो आगे के दिनों में प्रशिक्षक एवं उधमि बनेगें साथ ही आत्म निर्भर भारत के सपने को साकार करेंगे । मुख्य वक्ता डा॰ सुमन ने मसरूम की खेती प्रोधौगिकी के विभिन्न पहलुओं को विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि मशरूम की खेती तेजी से लाकप्रिय हो रही है क्योंकि यह केवल आहार संबंधी आवशयकताओं को पूरी करती है, बल्कि आय में इजाफा करता है, विशेष रूप से अपर्याप्त भूमि वाले उत्पादको की। यह गृहिणियों के लिये एक बहुत ही फायदेमंद और आकर्षक शौक माना जाता है। आज मशरूम की खेती में कम मुश्किलें आती हैं बशर्ते कि उत्पादन बढ़ाने के सरल नियमो का पालन करे। यह लगभग छह सप्ताह के भीतर, एक कमरे के अन्दर एक अत्यधिक लाभदायक फसल बन सकती है। इसके अलावा, मशरूम का आधुनिक पाक व्यंजनो में किसी भी अन्य खाद्य फसल की तुलना में अधिक उपयोग होता है। मशरूम की खेती किसी भी कमरे, शेक, बेसमेन्ट, गैरेज आदि में की जाती है। कई मशरूमों में से केवल तीन प्रकार के वटन मशरूम (एगटिकस बिसपोरस) , स्ट्रा मशरूम (प्लुरोटस साजोर) भारत में खेती के लिये उपयुक्त है। इसके अलावा डा॰ सुमन ने प्रजेन्टेशन के माध्यम से मशरूम कि खेती प्रोद्योगिकि के विभिन्न विधियो एवं स्तरो पर चर्चा की। मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता का स्वागत साइंस डीन सह विभागाध्यक्षा प्रो॰ रिमझिम शील नें किया और कहा कि इस तरह के कार्यशाला का आयोजन नियमित रूप से कराया जायेगा। विद्याथियो को प्रशिक्षण के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के दिशा में एक अच्छा पहल है। स्नातकेात्तर विभाग की शिक्षिका डा॰ तनुजा ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मशरूम की खेती तकनिकी पर अलग से नियमित पाठयक्रम चलाये जायेंगे एवं इसके लाभ की भी चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन टी॰ पी॰ एस॰ कॉलेज के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ॰ शिवम यादव ने किया। कार्यक्रम में प्रो॰ श्यामल किशोर, प्रो॰ अबु बकर रिजवी, डॉ॰ प्रशांत, डॉ॰ मुकुन्द, डॉ॰ पलाधी, डॉ॰ उदय सहित सैकड़ो विद्यार्थियो मौजुद रहे । सभी अतिथियो एवं प्रतिभागियो का धन्यवाद ज्ञापन डॉ॰ विनय भूषण कुमार ने किया।प्रो॰ अबु बकर रिजवी,मीडिया प्रभारी ने दी.