बिहार, निखिल दुबे : अरेराज प्रखंड के खोड़ीपाकड़ गांव में चल रहे श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत महर्षि गौतम ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र चंपारण काशी के संस्थापक सह यज्ञाचार्य अभिषेक कुमार दूबे व सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर के महंत रविशंकर गिरि महाराज ने संयुक्त रूप से महायज्ञ से होने वाले लाभ के बारे में बताया यज्ञ से धार्मिक व वैज्ञानिक लाभ मिलते हैं। जिसके लिए लोग दूसरे प्रांत व धर्म स्थलों पर जाकर इसका लाभ लेने में लगे रहते हैं। यहां पर यज्ञ होने से लोगों को काफी शांति मिलेगी। तथा हवन के विषय में श्रद्धालुओं के साथ जानकारी साझा की। कहा कि हवन का सनातन संस्कृति में बहुत अधिक महत्व है। आध्यात्मिक दृष्टि के साथ-साथ हवन शारीरिक और मानसिक लाभ भी देने वाला है। यज्ञ के पीछे बहुत बड़ा सांइटिफिक कारण होता है, क्योंकि यज्ञ की अग्नि में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियां डाली जाती हैं। आम की लकड़ी, घी, तिल, जौं, शहद, कर्पूर, अगर-तगर, गुग्गुल, जटामंसी, लौंग, इलायची, नारियल, शक्कर और अन्य निर्धारित आहुतियां भी बनस्पतियां ही होती हैं। नवग्रह के लिए अर्क, पलाश, खैर, शमी, अपामार्ग, पीपल, गूलर, कुशा, दूर्वा जो आयुर्वेद में प्रतिष्ठित औषधियां हैं।
यज्ञ करने पर मंत्रोच्चार के द्वारा न सिर्फ ये और अधिक शक्तिशाली हो जाती हैं, बल्कि इन जड़ी बूटियों के धुएं से यज्ञकर्ता, यजमान, रोगी एवं अन्य की आंतरिक, बाह्य व मानसिक शुद्धि भी होती है। इसके साथ ही मानसिक और शारीरिक बल तथा सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है। आज वैज्ञानिक इन पर शोध कर विभिन्न पौधों से कई नई दवाएं बना रहे हैं। कहा कि मनुष्य को दी जाने वाली तमाम तरह की दवाओं की तुलना में औषधियां जड़ी-बूटियां और औषधियुक्त हवन के धुएं से कई रोगों में ज्यादा फायदा होता है। जबकि यज्ञ के हवन में जब ये वनस्पतियां जलती हैं तो ये एल्केलाइड्स धुएं के साथ उड़ कर आपके शरीर से चिपक जाते हैं और श्वास से भीतर जाते हैं। यह धुआं मनुष्य के शरीर में सीधे असरकारी होता है और यह पद्धति दवाओं की अपेक्षा सस्ती और टिकाऊ होती है।