पटना /टी.पी.एस. कॉलेज में ‘’ मशरूम की खेती प्रोद्योगिकी ‘’ विषय पर कार्यशाला का सातवाँ दिन सम्पन्न हुआ । विगत सात दिनों में शोधार्थियों द्वारा कई कार्य एवं गतिविधियाँ हुई । मशरूम की खेती के लिए कई प्रकार के सब्सट्रेट का उपयोग किया गया है । जिसमें गेहूँ के भूसा, धान के पुआल, लकड़ी के कण, गन्ना का पराली, मसूर के भूसा प्रमुख है । विभिन्न सब्सट्रेट के उपयोग का मुख्य उद्धेश्य – मशरूम के उत्पादन में कौन-सा सब्सट्रेट ज्यादा उपयोगी है । साथ ही इसके माध्यम से लोगों में जागरूकता पैदा करना है कि जो कृषि अवशिष्ट को कचरा के रूप में फेक दिया जाता है उसकी उपयोगिता को बताना है । कार्यशाला के पाँचवें दिन को विभिन्न सब्सट्रेट को पाश्र्च्यराइजेशन किया गया । अगले दिन सब्सट्रेट की आद्रता की जॉचोंपरान्त पॉलीएक्रालिन बैग में सब्सट्रेट एवं मशरूम के स्पॉन के मिश्रण को डालकर उगाने हेतु बैग को तैयार कर दिया गया । कुल दस बैग तैयार किए गए हैं । इस कार्यशाला का मुख्य उद्धेश्य कृषि-आधारित रोजगार को बढ़ावा देना एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करना है । टी.पी.एस. कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने अबतक कि गई गतिविधियों की सहारना की। प्रत्येक गतिविधियों का पर्यवेक्षण विभागाध्यक्ष सह विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. रिमझिम शील द्वारा गठित विशेषज्ञों की टीम ने की । विशेषज्ञों की टीम में डॉ. तनुजा, डॉ. शिवम यादव, डॉ. विनयभूषण कुमार एवं डॉ. संदीप कुमार सुमन है । प्रो. अबू बकर रिज़वीमिडियाप्रभारी)टी.पी.एस. कॉलेज,पटना