पटना, २९ मई। सुप्रसिद्ध कथाकार जियालाल आर्य ने बाल-साहित्य की ओर अपनी लेखनी बढ़ाकर, साहित्य की इस मूल्यवान विधा को बहुत ही बल प्रदान किया है। ‘बाल-साहित्य’ में इन दिनों बहुत ही कम कार्य हुए हैं। इसके अभावों की मूर्ति में श्री आर्य का योगदान महनीय माना जा सकता है। उनके ‘बाल गीत’ में बाल-मन को कर्षित करने और उत्प्रेरित करने की अद्भुत क्षमता है। इस पुस्तक के गीत न केवल बालकों को भाएँगे, अपितु उन्हें शिक्षित और संस्कारित भी करेंगे।यह बातें रविवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, श्री आर्य के बाल-गीत संग्रह ‘बाल गीत’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता अकर्ते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि बिहार के साहित्यकारों को, हिन्दी साहित्य की दो विधाओं की ओर विशेष रूप से उन्मुख होना चाहिए। ये विधाएँ हैं;- ‘आलोचना-साहित्य’ और ‘बाल-साहित्य’। आलोचना-साहित्य के अभावों के कारण, बिहार के कवियों-लेखकों का उचित मूल्यांकन नहीं हो सका और बाल-साहित्य के अभाव में, बाल-मन कुंठित हुए हैं। साहित्य की इन अत्यंत महत्त्वपूर्ण विधाओं की अनदेखी उचित नहीं है।सम्मेलन के उपाध्यक्ष और मंत्रिमण्डल सचिवालय राजभाषा विभाग में विशेष सचिव डा उपेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि गीत, साहित्य की प्राचीन विधाओं में से एक है। आर्य जी के ‘बाल-गीत’ की रचनाओं में कविता अपने उत्कर्ष पर दिखाई देती है।लोकार्पित पुस्तक के कवि जियालाल आर्य ने कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए, बाल-साहित्य के महत्त्व को रेखांकित किया और अपनी पुस्तक के गीतों का पाठ भी किया।सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, राँची विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा जंग बहादुर पाण्डेय, डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा ध्रुब कुमार, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, पूनम आनंद, डा सुलक्ष्मी कुमारी, डा पुष्पा जमुआर, डा मेहता नगेंद्र सिंह, डा शालिनी पाण्डेय, बच्चा ठाकुर, डा विनोद शर्मा, कुमार अनुपम, जय प्रकाश पुजारी, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी,चितरंजन भारती, कृष्णरंजन सिंह अम्बरीष कांत, प्रो सुशील कुमार झा, राजेश भट्ट, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा पल्लवी विश्वास, डा अमरनाथ प्रसाद, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, बाँके बिहारी साव, नीरव समदर्शी, डा मुकेश कुमार ओझा, अभय सिन्हा, नागेश्वर शर्मा, संजीव कुमार मिश्र और इक़बाल इमाम ने भीअपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे तथा धन्यवाद-ज्ञापन बबीता आर्य ने किया।इस अवसर पर डा बी एन विश्वकर्मा, अमन सिंह आर्या, डा कुंदन लोहानी, अर्जुन प्रसाद सिंह, सुनील कुमार दानापुरी, रामाशीष ठाकुर, डा अजय कुमार, मनोज कुमार, दुखदमन सिंह, रेखा आर्या, राकेश आर्य, गौरव कुमार आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।