सीनियर एडिटर -जितेन्द्र कुमार सिन्हा, बेंगलुरु, 06 जून ::यूवी इंडेक्स धरती की सतह पर पहुँचने वाली रेडिएशन का स्तर बताता है। इसका रेडिएशन जितना अधिक होगा, त्वचा और आँख के लिए उतना ही खतरनाक साबित होगा।एचसीजी कैंसर रिसर्च सेंटर के डॉक्टर यूवी विशाल राव के अनुसार, भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देशों में त्वचा रोग में कैंसर जैसी बीमारी का होना दुर्लभ था। अल्ट्रा वॉयलेट (यूवी) रेडिएशन के बढ़ते स्तर को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि निश्चित रूप से त्वचा कैंसर रोग में वृद्धि हुई है।बेंगलुरु में कम हो रहे पेड़ पौधे और तेजी से बढ़ते कंक्रीट के कारण यहाँ के जंगलों में गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है, देखा जाय तो मौसम की चर्चा हम लोग करते है लेकिन बहुत कम लोग रेडिएशन की चर्चा करते है।इंडियन मेडिकल रिसर्च काउन्सिल की रिपोर्ट 2021 के अनुसार, देश के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में त्वचा रोग में नॉनमेलानोमा नामक कैंसर की बीमारी धीरे धीरे अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है। देश के पूर्वोत्तर भाग में पुरुषों में 5.14 और महिलाओं में 3.98 प्रतिशत त्वचा कैंसर देखी गई है।शंकर अस्पताल के हेड एवं नेक ओंकोलॉजी विभाग के डॉक्टर नारायण सुब्रमण्यम के अनुसार, देश में त्वचा कैंसर के मामले दुर्लभ थे, क्योंकि हमारी त्वचा में मेलेनिन वर्णक का हाईलेवल यूवी रेडिएशन के असर को कम करता है, लेकिन अब त्वचा कैंसर का रोग बढ़ रहा है।बेंगलुरु के शहरी जिलों सहित प्रदेश के 31 में से 27 जिलों में यूवी इंडेक्स का स्तर 12 से ज्यादा देखा जा रहा है, जिसे टॉप मोस्ट कहा जाता है। मिली जानकारी के अनुसार, धारवाड़, कोलार, कोप्पल, रायचूर में यूवी इंडेक्स 13 माना जा रहा है। जबकि यादगीर जिले के लिए 12.5 और रामनगर में 11 रह रहा है।डॉक्टर यूवी विशाल राव के अनुसार, त्वचा कैंसर के सबसे अधिक मामले आस्ट्रेलिया में है, लेकिन भारत में त्वचा कैंसर, सन बर्न और मोतियाबिंद जैसी बीमारियाँ दिन पर दिन बढ़ रही है।विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने तो 0 से 2 तक यूवी इंडेक्स होने पर किसी तरह का खतरा नही होता है, लेकिन यूवी इंडेक्स जब 6 से 7 हो जाता है तो प्रोटेक्शन की आवश्यकता होगी। प्रोटेक्शन के रूप में व्यक्ति को खुद को कवर करना होता है, सन स्क्रीन और सन ग्लासेज का इस्तेमाल करना जरूरी होता है। जब यूवी इंडेक्स 8 से 10 हो जाता है तो प्रोटेक्शन के लिए ज्यादा सावधानियाँ बरतनी आवश्यक हो जाता है। लेकिन जब यूवी इंडेक्स 11 से ज्यादा हो तो धूप में निकलने से बचने के साथ-साथ सन प्रोटेक्शन के लिए भी अन्य सभी सावधानियाँ बरतनी चाहिए। प्रायः यह देखा जा रहा है कि अल्ट्रा वॉयलेट (यूवी) रेडिएशन से अधिक सम्पर्क में रहने के कारण समय से पहले मोतियाबिंद की बीमारी हो रहा है।विशेषज्ञों का मानना है कि अल्ट्रा वॉयलेट (यूवी) रेडिएशन को कम करने, हानिकारक रासायनिक जोखिम से बचने, त्वचा की अनियमितताएँ, धब्बे, खुरदरापन या मलिनकिरण के मूल्यांकन और बार-बार त्वचा की जाँच कराने से ऐसी बिमारियों की रोकथाम और शुरुआती उपचार में मदद मिलेगी।
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