पटना, ७ जून। महाराष्ट्र से आए गायन-मण्डली के राष्ट्रभक्ति गीतों ने नगर के कवियों और प्रबुद्ध श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। गुरुदेव सेवा मण्डल, नागपुर के इन कलाकारों के देश-भक्ति-रस में डूबे गीतों पर भाव-विभोर श्रोता झूमते और तालियाँ बजाते रहे। मंगलवार की संध्या बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित ‘राष्ट्रभक्ति गीतोत्सव’ में सेवा-मंडल के अध्यक्ष अशोक यावले के नेतृत्व में आए ये कलाकार अपना गायन प्रस्तुत कर रहे थे। सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने अंग-वस्त्रम और पुष्प-हार देकर श्री यावले और उनके सहयोगी कलाकारों सुभाष आजोडकर, रूपराव वाघ, मुरलीधर नरड, रामदास टेकाडे, सियाराम चावले तथा आनंद माथने को सम्मानित किया।कर्यक्रम के आरंभ में श्री यावले ने सम्मेलन अध्यक्ष डा सुलभ, उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, कवयित्री डा अर्चना त्रिपाठी, डा शालिनी पाण्डेय, डा नागेश्वर प्रसाद यादव तथा कृष्ण रंजन सिंह को महाराष्ट्र की पारंपरिक टोपी पहनाकर अभिनन्दन किया।गीतोत्सव का आरंभ गुरु-वंदना से किया गया। उसके पश्चात कलाकारों ने क्रमशः “प्यारा हिंदुस्तान है/ गोपालों की शान है/ वीरों का मैदान, इसमें भक्तों का भगवान है”—– “तुने भाई सच्चा धर्म नहीं जाना/ गेहूँ में कंकड़ / पेढ़े में आटा/ दूध में पानी मिलाए/ मीठी वाले कहकर बेचे/ क़सम धरम की खावे” — “सबसे ऊँचा है धन, मेरा प्यारा भजन/ इसपे सारा तन मन क़ुर्बान रहेगा”–“मस्जिद में भी है ख़ुदा/ मंदिर में भी राम है आदि दर्जनों राष्ट्रभक्ति गीतों और प्रेरणादायक भजनों का गान किया।इस अवसर पर, हिन्दी और मराठी के वरिष्ठ साहित्यकार डा जनार्दन पाटिल, सम्मेलन के , डा विनय कुमार विष्णुपुरी, प्रताप नारायण, श्रीकांत व्यास, बाँके बिहारी साव, रत्नावली कुमारी, विनोद प्रसाद सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, विजय कुमार दिवाकर, श्री बाबू आदि साहित्यकार एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे।