पटना, ८ जून। मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मेजर (डा) बलबीर सिंह ‘भसीन’ एक महान शिक्षाविद ही नहीं सिद्धांतवादी सदपुरुष और भाव-प्रवण कवि-साहित्यकार भी थे। उनकी पुस्तकें ‘पत्थर की चाहत’, ‘एक हिंदुस्तानी की खोज’ तथा ‘एक सफ़र हिन्दोस्तान से हिन्दोस्तान तक’ काफ़ी चर्चा में रही। उनकी काव्य-दृष्टि मानवतावादी थी, जिसका आश्रय अध्यात्म था। वे पटनासिटी स्थित गुरुगोविंद सिंह महाविद्यालय में अनेक वर्षों तक प्राचार्य भी रहे। यह बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, बुधवार को उनकी पुण्य-स्मृति में निर्मित सभाकक्ष के लोकार्पण-समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि मनो विज्ञान के आदरणीय प्राध्यापक मेजर भसीन उर्दू और पंजाबी में भी लिखा करते थे। ‘सिख मत’ नाम से उनकी एक पुस्तक उर्दू में प्रकाशित हुई थी, जो ‘सिख-दर्शन’ पर एक महत्त्वपूर्ण कृति मानी जाती है। पंजाबी में लिखी गई उनकी पुस्तक ‘मेरी कलम दी आतम हतया’ भी पर्याप्त चर्चा में रही। उनके निधन से कुछ महीने पूर्व ही उनकी दो पुस्तकों, ‘एक सौ लघु कथाएँ’ तथा ‘जपजी साहिब और सुखमनी साहिब’ के हिन्दी पद्यानुवाद का लोकार्पण बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में किया गया था। साहित्य-सम्मेलन से उनका गहरा लगाव था और वे सम्मेलन के संरक्षक सदस्य भी थे।नव-उद्घाटित सभाकक्ष के प्रथम कार्यक्रम के रूप में हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार डा बजरंग वर्मा की चार पुस्तकों, ‘खुलकर साफ़ बोलती कविताएँ”, अमेरिका और कनाडा में हिन्दी”, “बुरा न मानो तो कहूँ” तथा “ब्रह्माण्ड: अध्यात्म: ज्योतिष और मनोवांछित प्राप्ति का मूल” का लोकार्पण किया गया।आरंभ में बिहार विधान परिषद के सभापति डा अवधेश नारायण सिंह ने फीता काट कर सभाकक्ष का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में डा सिंह ने कहा कि, मेजर भसीन एक दृढ़-प्रतिज्ञ व्यक्ति थे। जो सोंचते थे, उसे पूरा करते थे। यदि इस तरह की सोंच भारत के प्रत्येक व्यक्ति की हो जाए तो भारत के विकास को कोई रोक नहीं सकता। ऐसे महापुरुष के नाम से सम्मेलन ने एक ‘सभाकक्ष’ निर्मित कर अत्यंत प्रशंसनीय कार्य किया हाई।लोकार्पित पुस्तकों के रचनाकार डा बजरंग वर्मा ने अमेरिका और कनाडा में हिन्दी को लेकर हुए अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि, अमेरिका और कनाडा सहित विश्व के दूसरे देशों में, हिन्दी के कार्य भारत की तुलना में अधिक हो रहे हैं।डा भसीन के दामाद और सुप्रसिद्ध समाजसेवी सरदार नरेंदर सिंह, बड़े पुत्र हरमिंदर सिंह ‘रज्जी’, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद तथा कृष्ण सहनकर सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रो बासुकी नाथ झा ने किया। स्मरणीय है कि नव उद्घाटित ‘मेजर बलबीर सिंह ‘भसीन’ सभा-कक्ष’ का निर्माण उनके कनिष्ठ पुत्र और अधिवक्ता जितेंदर सिंह ‘भसीन’ की वित्तीय सहायता से किया गया है।इस अवसर पर, कर्नल अमित झा, निशीथ सिंह, बच्चा ठाकुर, डा पुष्पा जमुआर, दा नागेश्वर प्रसाद यादव, डा अर्चना त्रिपाठी, डा मेहता नगेंद्र सिंह, कृष्ण रंजन सिंह, जय प्रकाश पुजारी, बाँके बिहारी साव, डा सुषमा कुमारी, श्रीकांत व्यास, प्रेमलता सिंह राजपुत, चितरंजन भारती, डा पंकज प्रियम, प्रियंका प्रिया, अर्जुन प्रसाद सिंह, चंद्र शेखर आज़ाद, डा महेंद्र प्रियदर्शी, कुमार गौरव, डा रब्बान अली, श्याम नन्दन सिंहा, नागेंद्र सिंह, शशि शेखर, अटल बिहारी सिंह समेत बदी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।