पटना, १२ जून। ‘राष्ट्रभाषा-प्रहरी के रूप में समादृत हिन्दी के वयोवृद्ध साहित्य-सेवी, साहित्यिक त्रैमासिकी ‘भाषा भारती संवाद’ के प्रधान संपादक और बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त नहीं रहे। रविवार के पूर्वाह्न दस बजे पटना के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अपनी आयु के ८९वें वर्ष में, अपनी अंतिम साँस ली। विगत कुछ दिनों से वे रोग-शैय्या पर थे।उनके निधन का समाचार फैलते ही साहित्य और प्रबुद्ध-समाज में शोक की लहर फैल गई। अपने शोक संदेश में साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने बताया कि श्री गुप्त के निधन से हिन्दी ने अपना अनन्य सेवक और उन्होंने अपना आत्मीय शुभेच्छु, सहयोगी और मार्ग-दर्शक खो दिया है। राष्ट्र-भाषा हिन्दी के लिए उनके मन में जो त्याग और वलिदान की भावना थी वह अन्यत्र कम ही दिखाई देती है। उनके अग्र-लेखों और आलेखों में हिन्दी के लिए उनके मन की चिंता सदैव लक्षित होती थी। उन्होंने अपने सुदीर्घ जीवन का बहुलांश समाज और साहित्य को दिया। वे एक प्रेरक व्यक्तित्व थे। उन्होंने अनेकों सैकड़ों लोगों को हिन्दी और साहित्य की ओर उन्मुख किया, जिनमे से अनेक आज साहित्य में प्रतिष्ठित स्थान रखते हैं।शोक व्यक्त करने वालों में सम्मेलन के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ लेखक जियालाल आर्य, डा शंकर प्रसाद, डा उपेन्द्र नाथ पाण्डेय, सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति जाबिर हुसैन, पूर्व कुलपति प्रो अमरनाथ सिन्हा, वरिष्ठ गीतकार पं बुद्धिनाथ मिश्र, प्रो शेफालिका वर्मा, राम उपदेश सिंह ‘विदेह’, उषा किरण खान, मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’, डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा मधु वर्मा, सुनील कुमार दूबे, श्यामजी सहाय, कवि बच्चा ठाकुर, पूनम आनंद, डा अर्चना त्रिपाठी, आराधना प्रसाद, डा शालिनी पाण्डेय, बाँके बिहारी साव, प्रो बासुकी नाथ झा, प्रो किरण घई, इम्तियाज़ अहमद करीमी, कुमार अनुपम, भगवती प्रसाद द्विवेदी, डा सुलक्ष्मी कुमारी, डा ध्रुब कुमार, डा मेहता नगेंद्र सिंह, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, डा शिव नारायण, आचार्य विजय गुंजन, मुकेश प्रत्युष, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, कवि हेमंत कुमार, परवेज़ आलम, जय प्रकाश पुजारी, शमा कौसर, डा आर प्रवेश, प्रो सुखित वर्मा, गीता शॉ पुष्प, पंकज प्रियम, नीरव समदर्शी,रामनाथ राजेश आदि साहित्यकारों के नाम सम्मिलित है।सोमवार को पूर्वाहन दस बजे गुल्बी घाट पर उनका अग्नि-संस्कार संपन्न होगा। उनके ज्येष्ठ पुत्र आलोक कुमार गुप्ता मुखाग्नि देंगे। वे अपने पीछे दो पुत्र आलोक कुमार गुप्त एवं विवेक कुमार गुप्त समेत पूरे परिवार को शोक-संतप्त छोड़ गए हैं।