पटना, २० जून। कला, संगीत और साहित्य के विविध आयामों से जुड़े चर्चित संस्मरणकार डा शंकर प्रसाद की सांस्कृतिक-यात्रा की, चार खंडों में प्रकाशित हो रही, पुस्तकों की दूसरी कृति ‘तपती धूप के साए’ भी प्रथम कृति ‘यादों के दरीचे’ की भाँति सुधी पाठकों को मन को स्पर्श करती है। यह पुस्तक लेखक की अनुभूतियों और सारास्वत सरोकारों के बहाने से बहुत कुछ कहती और बताती है। इस रोचक पुस्तक से गुजरते हुए, सुधी पाठकों के सामने कला, संगीत, और सिने-संसार की अनेक महान विभूतियों के दर्शन होंग़े।यह बातें सोमवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, डा प्रसाद के संस्मरण साहित्य की दूसरी कृति के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही।उन्होंने कहा कि डा शंकर का वैविध्यपूर्ण जीवन और जीवनानुभूति की पूँजी से अर्जित भाव-संपदा पुस्तक को मूल्यवान और पठनीय बनाता है।समारोह का उद्घाटन करते हुए, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुप्रसिद्ध चिकित्सक डा सी पी ठाकुर ने कहा कि लेखन का कौशल सबको प्राप्त नहीं होता। यह एक बड़ा और कठिन कार्य है। डा शंकर प्रसाद जी की यह पुस्तक संस्मरण साहित्य में आदर की दृष्टि से देखी जाएगी और पाठकगण इससे अवश्य लाभान्वित होंग़े।समारोह के मुख्य अतिथि और विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष डा राजवर्द्धन आज़ाद ने कहा कि संस्मरण लिखना अत्यंत जोखिम भरा होता है। जीवन में अनेक तरह की अनुभूतियाँ होती है। उन्हें काग़ज़ पर रोचकता पूर्ण ढंग से उतारना सबसे संभव नहीं। लेकिन यह अत्यंत आनंदप्रद है।दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा राज कुमार नाहर ने कहा कि डा शंकर प्रसाद की इस पुस्तक में संस्मरण-साहित्य का एक नया शिल्प दिखाई देता है। यह ऐसी किताब है, जिसे लोग पढ़ना शुरू करेंगे तो अंत कर छोड़ेंगे।पूर्व प्राचार्य डा नारायण यादव, सम्मेलन के उपाध्यक्ष मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, दीपक ठाकुर, रमेश कँवल,कुमार अनुपम, चंदा मिश्र, डा अर्चना त्रिपाठी, कवि बच्चा ठाकुर, डा शालिनी पाण्डेय, शमा कौसर, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा नागेश्वर प्रसाद, बाँके बिहारी साव तथा डा अमरनाथ प्रसाद ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।समारोह में, वरिष्ठ कवि श्रीराम तिवारी, अभिलाषा कुमारी, नीता सिन्हा, परवेज़ आलम, पं गणेश झा, अंकेश कुमार, राजेश कुमार शुक्ल, अर्जुन प्रसाद सिंह, नीरव समदर्शी, संजीव कुमार श्रीवास्तव, डा धीरज सिन्हा, रेणु राकेश, आनंद मनीष, रीता सिंह, निशा पराशर, कुमार गौरव, विजय कुमार दिवाकर, दुःख दमन सिंह, चंद्र शेखर आज़ाद, अबहय आनंद अश्विनी कुमार आदि बड़ी संख्या में सुधीजन और साहित्यकार उपस्थित थे।