पटना, ४ जुलाई। अपनी मूल्यवान साहित्यिक और सांस्कृतिक सेवाओं के लिए भारत सरकार के पद्म अलंकरण से विभूषित विदुषी कवयित्री डा शांति जैन लोक संस्कृति और गीति-काव्य की पुण्य सलीला सरिता थीं। लोक-संगीत, लोक-कला और लोक-जीवन पर अपने अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यों के कारण वो सदा ही हमारी स्मृतियों में रहेंगी। संपूर्ण जीवन अविवाहित रह कर, एक तपस्विनी की भाँति साहित्य की एकनिष्ठ साधना करने वाली शांति जी संस्कृत की विदुषी प्राध्यापिका तथा हिन्दी की विशिष्ट कवयित्री थीं। वो एक सफल मंच-संचालिका,गायिका, उद्घोषिका, रेडियो वार्ताकार, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की कार्यसमिति की सदस्य, बिहार की हिन्दी प्रगति समिति की उपाध्यक्ष और सांस्कृतिक-संस्था ‘सुरांगन’ की अध्यक्ष भी थीं।यह बातें सोमवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती समारोह एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि ‘एक वृत के चारों ओर’, ‘हथेली का आदमी’, हथेली पर एक सितारा’, ‘पिया की हवेली’, ‘छलकती आँखें’, ‘धूप में पानी की लकीरें’, साँझ घिरे लागल’, ‘तरन्नुम’, ‘समय के स्वर’, ‘अँजुरी भर सपना (ग़ज़ल, गीत संग्रह), ‘अशमा’, ‘चंदनबाला’ (प्रबंध काव्य) जैसी काव्य-कृतियों की रचना करने वाली शांति जी ने लोक-साहित्य और संगीत पर भी अत्यंत मूल्यवान सृजन किए, जिनमें, ‘चैती’, ‘कजरी’, ‘ऋतुगीत: स्वर और स्वरूप’, ‘व्रत और त्योहार : पौराणिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि’, ‘उगो हे सूर्य’ (भोजपुरी गीत-संग्रह), ‘लोकगीतों के संदर्भ और आयाम’, ‘बिहार के भक्ति परक लोक गीत’, ‘व्रत-त्योहार कोश’, ‘तुतली बोलों के गीत’ सम्मिलित हैं। शांति जी ने आलोचना-साहित्य में भी अत्यंत मूल्यवान कार्य किए। उनके ग्रंथ ‘वसंत सेना’, ‘वासवदत्ता’, कादंबरी’, ‘वेणी संहार’ (सबकी शास्त्रीय समीक्षा) इसके प्राणवंत उदाहरण हैं। उन्होंने ‘एक कोमल क्रांतिवीर के अंतिम दो वर्ष’ (लोक नायक जय प्रकाश नारायण पर केंद्रित डायरी) का भी प्रणयन किया।दूर दर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा राज कुमार नाहर, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा अर्चना त्रिपाठी, सागरिका राय, कल्पना जैन, रचना जैन, डा बी एन विश्वकर्मा और डा सत्येंद्र सुमन आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन की ओर से संस्कृत के उद्भट विद्वान और संस्कृत विश्व विद्यालय के कुलपति पं आद्याचरण झा को भी, उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी गई।इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ कवि जय प्रकाश पुजारी की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, कुमार अनुपम, सिद्धेश्वर, डा ब्रह्मानन्द पाण्डेय, श्याम बिहारी प्रभाकर, डा मीना कुमारी परिहार, अर्जुन प्रसाद सिंह, समर्थ नाहर, डा महेश राय, डा प्रतिभा रानी, अभिलाषा कुमारी आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी गीति-रचनाओं से श्रद्धांजलि अर्पित की। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा कृतज्ञता-ज्ञापन बाँके बिहारी साव ने किया।वरिष्ठ समाजसेवी आनंद मोहन झा, कृष्ण मुरारी, रामाशीष ठाकुर, डा पंकज कुमार सिंह, डा चंद्रशेखर आज़ाद, अमन वर्मा, राजेश कुमार आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।