कौशलेन्द्र पाराशर -पटना से /PM मोदी और CM नितीश के सामने तेजस्वी यादव ने मांग की-जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को अवश्य ही भारत रत्न मिलना चाहिए.बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष समापन समारोह को तेजस्वी ने संबोधित किया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, राज्यपाल महोदय, मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा जी, विधानपरिषद के सभापति महोदय, उपमुख्यमंत्री, मंत्रीगणों सहित विधानसभा के वर्तमान और पूर्व माननीय सदस्य उपस्थित रहे ।तेजस्वी ने कहा बिहार लोकतंत्र की जननी है अतः यहां से एक संदेश पूरे देश में जाना चाहिए। हम अलग-अलग दलों से इस विधानमंडल में है लेकिन हमारी वैचारिक प्रतिस्पर्धा राजनीतिक शत्रुता में नहीं बदलनी चाहिए। समाज के हर वर्ग की आबादी के अनुसार भागीदारी और हिस्सेदारी से ही लोकतंत्र समृद्ध और समावेशी होगा।माननीय प्रधानमंत्री. मैंने पहले कहा कि हमारे राज्य के वैशाली से ही लोकतंत्र बाकी जगहों पर प्रसारित हुआ। अतःनिवेदन करता हूँ कि स्कूल ऑफ़ डेमोक्रेसी और लेगीस्लाटिव स्टडीज जैसी एक संस्था बिहार में स्थापित हो। जिसके माध्यम से विधायी और लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं पर शोध एवं अध्ययन के अवसर और प्रशिक्षण दिया जा सके। पूरे देश के जनप्रतिनिधियों, युवाओं और संबंधित कर्मचारियों को इससे लाभ मिलेगा। आशा है आप हमारी इस मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे। आदरणीय प्रधानमंत्री जी, आपने विशेषज्ञ व्यक्तियों को पद्मश्री पद्म विभूषण इत्यादि सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार देने की एक स्वस्थ सकारात्मक परंपरा स्थापित की है। तेजस्वी ने कहा की इसी प्रांगण में हम जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की आदमक़द प्रतिमा के बगल में बैठे है। हमारी माँग है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देकर इस शताब्दी वर्ष समारोह एवं देश के किसी भी प्रधानमंत्री के बिहार विधानसभा प्रांगण में प्रथम आगमन को और अधिक यादगार बनाने की कृप्या करें।तेजस्वी ने कहा की यहां उपस्थित हरेक माननीय सदस्य की यह हार्दिक इच्छा है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को अवश्य ही भारत रत्न मिलना चाहिए।लोकतंत्र के समक्ष कई चुनौतियां हैं लेकिन हम सामूहिक प्रयास और संकल्प से जनतंत्र को धनतंत्र और छलतंत्र से बचा सकते हैं।हमारे पुरखों ने हमें लोकतंत्र की समृद्ध विरासत सौंपी। आवश्यकता है कि हम सब मिलकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करें। विधानसभा के शताब्दी वर्ष में यही चुनौती भी है और अवसर भी।