पटना, १८ जुलाई। अंगिका और हिन्दी के चर्चित लेखक और कवि श्रीकांत व्यास के काव्य-संग्रह ‘वेदना की दास्तान’ का लोकार्पण, सोमवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभागार में किया गया। बड़ी संख्या में उपस्थित साहित्यकारों और काव्य-रसिकों की उपस्थिति में पुस्तक का लोकार्पण देश के सुप्रसिद्ध गीतकार पं बुद्धिनाथ मिश्र ने किया।अपने लोकार्पण उद्गार में पं मिश्र ने कहा कि व्यास जी ने छंद, मुक्त-छंद की कविताओं के साथ ग़ज़ल कहने की भी ख़ूबसूरत कोशिश की है। लोकार्पित पुस्तक में कवि ने हर प्रकार के पाठकों का ध्यान रखा है। इसमें गंभीर चिंतन भी है और हास्य-व्यंग्य भी।सभा की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि कविता मानव जाति की अजेय शक्ति है। यह दुखी मन की आँखों के आँसू पोंछती है। क्लांत, हताश और भग्न देह में जीवन का नव-प्राण फूंकती है। प्रत्येक कवि को अपनी इस दिव्य शक्ति और उसके महान प्रभाव का भान होना चाहिए और अपनी कविता को व्यापक दृष्टि से नियोजित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीकांत व्यास की गद्य-पद्य रचनाओं में उनके जीवन की सरलता और समाज के प्रति उनकी सकारात्मक दृष्टि का स्पष्ट बोध होता है।सम्मेलन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जियालाल आर्य, डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा अर्चना त्रिपाठी, डा ध्रुब कुमार, डा नागेश्वर प्रसाद यादव तथा प्रो बी एन विश्वकर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कवि को शुभकामनाएँ दीं।अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने कहा कि श्री व्यास के जीवन और साहित्य, दोनों के ही मार्ग सर्पाकार रहे हैं। अनेक कठिनाइयों से गुज़रकर, पत्रकारिता से साहित्य की ओर उन्मुख हुए श्री व्यास एक बड़े घुम्मकड़ भी हैं।सुप्रसिद्ध गायिका रंजना झा की वाणी-वंदना से, इस अवसर पर आरंभ हुए कवि-सम्मेलन को पं बुद्धिनाथ मिश्र ने अपने मधुर गीतों से रस-प्लावित कर दिया। उनकी पंक्तियों;- “सावन की गंगा जैसी गदरायी तेरी देह/ बिन बरसे न रहेंगे अब ये काले-काले मेह”, “प्यास हरे कोई घन बरसे/ तुम बरसो या सावन बरसे।”का सभागार ने हृदय-खोल कर स्वागत किया।लोकार्पित पुस्तक के कवि श्री व्यास ने अपनी प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया। अपनी एक ग़ज़ल पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि “दस्त में है मौत के ख़ंजर लिए/ बागबां भी अब दिखे बंजर लिए।”वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, ब्रह्मानंद पाण्डेय, कुमार अनुपम, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, सिद्धेश्वर, अभिलाषा कुमारी, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, संस्कृति मिश्र, जय प्रकाश पुजारी, श्याम बिहारी प्रभाकर, लता प्रासर, चंदा मिश्र, अर्जुन प्रसाद सिंह, चितरंजन भारती, बाँके बिहारी साव आदि कवियों और कवयित्रियों ने भी अपनी रचनाओं का प्रभावोत्पादक पाठ किया। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।इस अवसर पर अशोक आनंद, कृष्ण मुरारी प्रसाद, बलराम प्रसाद सिंह, रामाशीष ठाकुर, दुखदमन सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सूर्यदेव यादव,अमित कुमार सिंह, राम किशोर सिंह बिरागी, नेहाल प्रसाद सिंह आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।