कौशलेन्द्र पाराशर -दिल्ली /” महामहिम “बनने के बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का देश की जनता को संदेश – गरीब सपना देख कर उसे पूरा भी कर सकता है. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि मैंने देश के युवाओं के उत्साह और आत्मबल को करीब से देखा है. प्रधानमंत्री अटल जी को याद करते हुए कहा कि देश के युवा जब आगे बढ़ते हैं तो वे अपना ही भाग्य नहीं बदलते बल्कि देश का भाग भी बदलते हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज हम इसे सच होते देख रहे हैं. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन्ना बेटियों के समर्थ की झलक है. राष्ट्रपति ने कहा कि मैं अपने जीवन यात्रा उड़ीसा के एक छोटे से आदिवासी कहां से शुरू की है जिस जिस भूमि समय आती है वह मेरे लिए प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करना भी अपने जैसा ही था. लेकिन मैंने अनेक बाधाओं के बावजूद में दृढ़ संकल्प रहा और मैं कॉलेज जाने वाले अपने गांव की पहली बेटी बनी. मुझे वार्ड पार्षद से राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मिला. यह संतोष की बात है कि सदियों से वंचित रहे विकास के लाभ से दूर रहे गरीब दलित पिछड़े और आदिवासी मुझमें अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि देश हित हमेशा सर्वोपरि रहेगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि देशवासियों को उनके हित की रक्षा करना ही मेरा पहला कार्य होगा. 15 वे राष्ट्रपति के तौर पर कामकाज संभाला. इक्कीस तोपों की सलामी दी गई मुर्मू को. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सर्वोच्च संवैधानिक पद पहुंचना उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं बल्कि है भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है.