पटना,३० जुलाई। शैक्षणिक संस्थानों, सरकार और प्रदेश के विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और प्रशिक्षण सुनिश्चित करना चाहिए। शैक्षणिक सत्र नियमित हों और विद्यार्थियों को समय पर उपाधि मिले, यह भी सुनिश्चित होना चाहिए।यह बातें शनिवार को, बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्च के ३३वें शैक्षणिक-सत्र का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कही। उन्होंने शिक्षा और अनुशासन पर बलदेटे हुए कहा कि, हर व्यक्ति को अपने स्वयं पर शासन करना चाहिए। यही अनुशासन है। जो अनुशासित नहीं होते, उन पर दूसरे शासन करते हैं। एक अनुशासित विद्यार्थी ही अपने जीवन में सभी वांछित सफलता अर्जित कर सकता है।इस अवसर पर संस्थान के छात्र-छात्राओं ने निष्ठापूर्वक अध्ययन और कदाचारमुक्त परीक्षा की शपथ ली। न्यायमूर्ति प्रसाद ने विद्यार्थियों को निष्ठा की शपथ दिलाई।अपने अध्यक्षीय संबोधन में संस्थान के निदेशक-प्रमुख और सुप्रसिद्ध शिक्षाविद-साहित्यकार डा अनिल सुलभ ने संस्थान के विगत ३३ वर्षों के स्वर्णिम काल पर एक संक्षिप्त दृष्टि डाली और कहा कि, यह बिहार के लिए गौरव की बात है कि निजी क्षेत्र में फ़िज़ियोथेरापी तथा विकलांगों के पुनर्वास के पाठ्यक्रमों को आरंभ करने का श्रेय, इस संस्थानके माध्यम से इसी प्रदेश को जाता है। इसी संस्थान ने देश में पहली बार निजी क्षेत्र मे पुनर्वास तथा पारा-मेडिकल के विभिन्न विषयों में भी स्नातक-स्तरीय पाठ्यक्रम आरंभ किए।संस्थान के फ़िजीयोथेरापी विभाग के पाठ्यक्रम-निदेशक तथा इंडियन एशोसिएशन औफ़ फ़िज़ियोथेरापी के प्रदेश संयोजक डा नरेंद्र कुमार सिन्हा, पटना मेडिकल कौलेज में पैथोलौजिस्ट डा देवेंद्र प्रसाद, डा जोशनी पाण्डेय, प्रो सुशील कुमार झा तथा अम्बरीष कांत ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संस्थान के प्रबंध निदेशक आकाश कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया। मंच का संचालन विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो कपिल मुनि दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन आनंद मोहन झा ने किया।इस अवसर पर प्रो सत्येंद्र सुमन, कुंदन झा, मेनका झा, आभास कुमार, अभियंता बी पी सिंह, डा रजनी ठाकुर, डा नवनीत झा, डा तारिक आज़ाद, प्रो संजीत कुमार, डा जया कुमारी, डा दीपक प्रसाद सिंह, डा चंद्रा आभा, डा मधुमाला, डा कुणाल कुमार,सुप्रभात शांडिल्य समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्ध जन, संस्थान के चिकित्सक, कर्मी तथा छात्रगण उपस्थित थे।