पटना, ७ अगस्त। महाकवि तुलसीदास भारतीय चेतना और दर्शन के अद्भुत भाष्यकार हैं। वे उपदेश नहीं देते, बल्कि अपने सजीव पात्रों के माध्यम से समाज को एक ऐसा प्रतीक देते हैं, जो मानव-समुदाय के लिए आदर्श और जीवन का पाथेय बन जाता है। तुलसी काव्य-संसार के एक ऐसे महापुरुष हैं, जिन्होंने भारतीय मनीषा के उस दर्शन को प्रतिपादित किया जिसमें यह कहा गया है कि, कवि ‘देव’ होते हैं। उन्होंने अपने विश्व-ख्यात महाकाव्य ‘रामचरित मानस’ के माध्यम से ‘लोक-नायक कवि’ के रूप में साहित्य-संसार में प्रतिष्ठा पायी।यह बातें रविवार को पटेल नगर स्थित देव पब्लिक स्कूल में प्रबुद्ध हिंदू समाज की ओर से आयोजित तुलसी जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि गोस्वामी जी का आध्यात्मिक और साहित्यिक व्यक्तित्व, जीवन की भीषण पीड़ा और संघर्ष के अग्नि-सागर से निकल कर सृजित हुआ। उनकी आध्यात्मिक साधना भी गहरी थी और उन्हें आत्म-साक्षात्कार की शीर्ष उपलब्धि प्राप्त थी।आयोजन के मुख्य अतिथि ई राधाकांत मिश्र ने कहा कि तुलसी जी को अलौकिक आध्यात्मिक शक्तियाँ प्राप्त थी। अन्यथा वे जीवन के विकट-संग्राम के बीच वे मानस की रचना नहीं कर पाते। इस अवसर पर कवि शंकर शरण मधुकर, डा मनोज कुमार, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, रंजन कुमार मिश्र, ई महेन्दर शर्मा, अधिवक्ता अभयानंद केशरी, अजय कुमार सिंह, सुरेश कुमार देव,अमित कुमार सिंह, साकेत स्वरित ने भी संत कवि को भावांजलि अर्पित की।प्रबुद्ध हिंदू समाज के अध्यक्ष डा जनार्दन प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में आगत अतिथियों का स्वागत समाज के महासचिव आचार्य पाँचु राम ने किया। मंच का संचालन विद्यालय के निदेशक डा दिनेश कुमार देव ने किया।