पटना, २० अगस्त। कला, संगीत और साहित्य के विविध आयामों से जुड़े चर्चित संस्मरणकार डा शंकर प्रसाद की स्मृति-यात्रा की, तीसरी कृति ‘यादों की शहनाई’ पाठकों को न केवल अपने समय के गुणी जनों से सारस्वत भेंट कराती है, अपितु सबके मन-प्राण में जीवन के मीठे रस भी घोलती है। स्थल-स्थल पर हरिदाय को स्पर्श करने वाली इस रोचक पुस्तक से गुजरते हुए, सुधी पाठक गत और समागत उन अनेक विभूतियों से अपना सरोकार बनाते हैं, जो कला, संगीत, और सिने-संसार संवारने में अपना तन-मन अर्पण किए और कठिन साधना की।।यह बातें शनिवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, डा प्रसाद की पुस्तक के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि पर्वत-ऋंखलाओं और घातियों की भाँति अनेक टेढ़े-मेढ़े रस्ते की भाँति डा शंकर के वैविध्यपूर्ण जीवन और जीवनानुभूति इस पुस्तक में रूपायित होती है, जो पाठकों को रोचक-रोमांचक अनुभूतियों तक ले जाती है।समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मानव जीवन में कला, संगीत और साहित्य का बहुत बड़ा महत्त्व है। यह अद्भुत संयोग है कि डा शंकर में ये तीनों सारस्वत गुण अपने श्रेष्ठ रूप में उपस्थित है। और, इस पुस्तक में इन तीनों ही क्षेत्र के गुणी लोगों का समावेश हुआ है।पूर्व सांसद राजनीति प्रसाद ने कहा कि डा शंकर प्रसाद के कंठ में सरस्वती का वास है। इनके जीवन में अनेक संघर्ष के दौर आए, किंतु वे जहां से भी गुजरे अपने पद-चिन्ह छोड़ते आए हैं।दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग की पूर्व अध्यक्ष और विदुषी लेखिका डा दीप्ति शर्मा त्रिपाठी ने कहा कि ज्ञान से ऊपर प्रेम का स्थान है। डा शंकर प्रसाद प्रेम को जीने वाले साहित्यिक संगीतकार हैं।दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा राज कुमार नाहर ने कहा कि लोकार्पित पुस्तक के लेखक डा शंकर प्रसाद बिहार के सम्मान हैं। इनसे हम सबने बहुत कुछ सीखा है।सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, पूर्व प्राचार्य डा अनिल कुमार यादव, कुमार अनुपम, बच्चा ठाकुर, गौरव राय, डा सुलक्ष्मी कुमारी, आराधना प्रसाद, भूपेश कुमार, मधु मंजरी, नरेंद्र देव यादव तथा श्वेता सुमन ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। मंच का संचालन डा शालिनी पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।समारोह में, मशहूर शायरा तलअत परवीन, डा अर्चना त्रिपाठी, डा सुषमा कुमारी, डौली कुमारी, बाँके बिहारी साव, सदानंद प्रसाद, जय प्रकाश पुजारी, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, रश्मि वर्मा, स्वेच्छा शर्मा, प्रो ललितेश्वर प्रसाद सिंह, आनंद आशीष, अभिषेक कुमार, विकास आनंद, शिवानंद गिरि, प्रियंका प्रिया, डा मदेश्वर राय, राकेश कुमार, लक्ष्मी नारायण लाल, शिवेंद्र कुमार, वंदना प्रसाद, राघवेंद्र नारायण सिंह, रामाशीष ठाकुर, नीता सिन्हा, हिमांशु दूबे, राजेश कुमार शुक्ल, आदि बड़ी संख्या में सुधीजन और साहित्यकार उपस्थित थे।