सौरभ निगम -दिल्ली ब्यूरो / उच्चतम न्यायालय ” ED” की दो पावर पर पुनर्विचार करेगा,न्यायालय सुनवाई को हुआ सहमत. धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत प्रवर्तन निदेशालय को मिले हैं अधिकार. प्रवर्तन निदेशालय को व्यक्ति की संपत्ति जप्त कर सकता है. ईडी संपत्ति को कुर्क कर सकता है. उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सकता और गिरफ्तार भी कर सकता है. कानून के तहत दोषी पाए जाने पर कम से कम 3 वर्ष के कठोर कारावास का प्रावधान है जिसे 7 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केंद्र सरकार ने विरोध नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत धन शोधन को रोकने व कालेधन को वापस लाने या उसके प्रचलन को नियंत्रित करने के लिए सरकार की कार्रवाई के विरोध नहीं कर रही है. क्योंकि यह गंभीर अपराध हैं. जिन दो मुद्दों को रेखांकित किया है नोटिस उन्हीं तक सीमित रहना चाहिए. यह समीक्षा याचिका विचार युक्त नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट जिन विषयों पर समीक्षा करेगा पहला विषय प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट यानी f.i.r. मुहैया नहीं कराना और दूसरा है अपराध साबित होने तक बेगुनाह होने की धारणा के विपरीत व्यवस्था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि इस पूरे फैसले पर पुनर्विचार नहीं होगा. प्रवर्तन निदेशालय का गठन आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच करने के लिए किया गया है. इसके गठन 1956 में हुआ. वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत यह काम करता है.