प्रिया सिन्हा -दिल्ली / “सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम” फैसला,2002से 2004 तक गुजरात दंगों पर” कोर्ट “ने बंद की सभी सुनवाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा इतना वक्त बीतने के बाद भी इस सुनवाई का कोई मतलब नहीं रह गया है. गुजरात में 2002 में हुए दंगे मामलों को स्वतंत्र जांच के लिए करीब 20 वर्ष से लंबित अंगारेएस गांव को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अप्रसांगिक बताते हुए बंद कर दिया. इसमें राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में शामिल याचिका भी शामिल है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उमेश उदय ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्ट जीबी पादरी वालों के तीन जजों की पीठ ने मामले को बिना मतलब का मानकर बंद करने का फैसला किया. माननीय न्यायाधीशों ने कहा कि अदालत ने दंगों से संबंधित 9 मामलों की जांच और अभियोजन के लिए गठित एसआईटी के गठन किया था. इसमें 8 मामलों की सुनवाई पूरी हो चुकी है. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने एसआईटी के बयान को स्वीकार कर लिया है. न्यायाधीशों ने अपने आदेश में कहा सभी मामले व्यर्थ हों गए हैं. इस अदालत का विचार है कि अब इन याचिकाओं पर विचार करने की कोई जरूरत नहीं है. इसलिए इन सभी मामलों को बंद किया जाता है.