प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट /पाकुड़ जिला के महेशपुर प्रखंड के नारगीटोला गाँव के लोगों ने आवागमन सुलभ बनाने के लिए बांसलोई नदी पर कुछ दुरी तक बांस का पुल बना डाला है नारगीटोला, चंडालमारा सहित अन्य कई गाँव के लोगों को इलाज से लेकर स्कूल तक ऐसी कई अन्य जरूरतों के लिए इन्हे अब 25किलोमीटर लम्बी दुरी तय नहीं करनी पड़ेगी बांस के पुल बनने से लोगों का समय और पैसा दोनों की बचत हो रही है. महेशपुर प्रखंड क्षेत्र के चांडालमारा समेत दर्जनों गांव बांसलोई नदी के किनारे बसा है. आपको बताते चलें कि प्रखंड के घाटचोरा गांव व चांडालमारा गांव के बीचो-बीच बांसलोई नदी पर लगभग 6 करोड़ की लागत से बना हुआ पुल विगत 30 सितंबर सोमवार 2019 को 6 दिनों की बारिश की मार सह नहीं सका और धरासायी हो गया. इस पार से उस पर तक आने जाने के कारण लोगों को तमाम जरूरतों के लिए लंबा चक्कर काटना पड़ रहा था. उसके बाद नदी में पानी कम होने के बाद चंडालमारा के ग्रामीणों ने ट्युब बांस के चचेरी बनाकर इस पार से उस पार आने जाने लगा. कुछ दिनों बाद चंडालमारा के दर्जनों ग्रामीणों ने नदी के बीचों बीच काफी कठिनाईयों के बीच चंदा उठाकर एक छोटा ड्राईवर्सन पुल बनाया. जो इन दिनों बिन मौसम की बारिश से नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद ड्राईवर्सन पुल भी बांसलोई नदी में समा गया. वही नारगीटोला के ग्रामीणों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर बांस का चचेरी पुल बना दिया. सबसे बड़ी मुश्किल तो बीमार व्यक्तियों का इलाज करने के लिए महेशपुर प्रखंड क्षेत्र के सीएचसी अस्पताल तक जाने के लिए लगभग 25 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था. बच्चे को स्कूल जाने की कठिनाइयां का सामना करना पड़ता था.