पटना, ८ सितम्बर। “खेतबा के डरिया चलेलि गुजरिया, मन ही में करत किलोल/ पिया मोर सुनर चढल जवानिया, बोले निर्मोही मीठे बोल”— बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने अपने अध्यक्षीय काव्य-पाठ में जैसे ही ये पंक्तियाँ सस्वर पढ़ी की पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट और ‘वाह-वाह’ और ‘आह-आह’ के स्वर से गूंज उठा। अवसर था लोक-भाषा कवि-सम्मेलन का, जो हिन्दी पखवारा के आठवें दिन गुरुवार की संध्या साहित्य सम्मेलन में आयोजित था।कवि सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। इसके पश्चात लोकधुन और लोकरंग की एक ऐसी सतरंगी धारा बही कि देर संध्या तक सम्मेलन बिहार की माटी की सुगंध के साथ उसमें डूबा रहा। श्रोताओं को प्रेम, विरह, मिलन, समर्पण, उलाहना, समेत कवि-मन के अनेक भावों की रचानाएँ सुनने को मिली।सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद के इस भोजपुरी ग़ज़ल को श्रोताओं ने दिल से लगाया कि “जेतना हमरा के रउआ पियार करीले,ओतना रउआ के हमहु दुलार करीले / इयाद आइले रउआ बहुत बेर-बेर, हम भुलावे के जेतना विचार करीले”। पं गणेश झा ने मैथिली में अपने गीत में यह पूछा कि ” की करब पहिर गहना ललना? वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर ने मैथिली की महिमा गाते हुए कहा कि “अटल भारत चमकि दमक क/ मैथिली राशि ऐहन निर्मल”।सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा ने भोजपुरी में अपनी रचना पढ़ते हुए कहा कि “छूटल ननेहिया के धार हो अंगनइया के बाँह में/ ननद भउजिया के कजरी भुलाइल, बउराइल दिनवा फेरु नाही आइल”। कवयित्री डा पूनम आनंद ने भोजपुरी में, अपनी रचना “लिलरा में साट के टिकुलिया माई चंद्रमा निरेखर हो/ उड़े ख़ातिर पाँख चाहीं या कवनो विचार हो ।”कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने भोजपुरी में कहा कि “पियवा के पाई पाती ख़ुशी के जरल बाती/ मनवा में टह-टह अंजोर हो गइल”। नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल’ ने बज्जिका में यह रचना पढ़ी कि “सतरंगी संस्कृति के शोभा हर्षित जगत निहार के/ बज्जिकांचल के पावन धरती कीर्तिलता विशाल के।”डा मेहता नगेंद्र सिंह तथा सच्चिदानंद ‘किरण’ ने ‘अंगिका’ में, जय प्रकाश पुजारी तथा श्याम बिहारी प्रभाकर ने ‘मगही’ में, मोईन गिरीडीहवी तथा जबीं शम्स ने ‘ऊर्दू , कमल किशोर ‘कमल’, डा मीना कुमारी परिहार तथा डा प्रतिभा रानी ने ‘भोजपुरी में अपनी रसवन्ती गीतों का पाठ किया। मंच का संचालन कुमार अनुपम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया।इसके पूर्व, विगत २ सितम्बर से संचालित ‘संस्कृत संभाषण शिविर’ के ७वें दिन आज, शिविर के मुख्य प्रशिक्षक और संस्कृत के विद्वान आचार्य डा मुकेश कुमार ओझा ने प्रतिभागियों को ‘क्रिया-ज्ञान’ का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया और अभ्यास कराया।लोकभाषा कवि-सम्मेलन के पश्चात नाट्य-संस्था ‘क्रियेशन’ के तत्त्वावधान में हरिशंकर परिसाई लिखित और उत्तम कुमार द्वारा निर्देशत ‘लवर्स रिटर्न” नामक व्यंग्य-नुक्कड़ नाटक की शानदार प्रस्तुति की गई। दीपक कुमार, नैतिक राज, सोमेन मुखर्जी, शशांक राज मंगलम, गोपाल सिंह, हर्ष विजेता, रोहित कुमार, सौरभ कुमार, शिवमकुमार, जाह्नवी सोनी, राजन कुमार तथा सुमित कुमार आदि कलाकारों के अभिनय पर दर्शकों ने तालियाँ बजाकर सराहना की और कलाकारों का उत्साह-वर्द्धन किया।प्रबुद्ध श्रोताओं में डा पुष्पा जमुआर, निर्मला सिंह, अजित कुमार भारती, ऋतु सिन्हा, डौली कुमारी, कुमार गौरव, ,शिवानंद गिरि, सदाबहार चिंटू कुशवाहा, चंद्रशेखर आज़ाद, बाँके बिहारी साव, गोपाल मेहता, विजय कुमार दिवाकर, राम प्रसाद ठाकुर आदि के नाम उल्लेखनीय है।