पटना, ९ सितम्बर। संतशिरोमणि महाकवि तुलसी दास के पश्चात साहित्य के माध्यम से लोक-जागरण के लिए जिसे लोकनायक कहा जा सकता है, उस महान साहित्यकार का नाम भारतेंदु हरिश्चन्द्र है। खड़ी-बोली हिन्दी को माध्यम बनाकर और इसका नया रूप गढ़कर भारतेंदु ने भारतीय समाज और आधुनिक हिन्दी के लिए महान कार्य किया। ये भारतेंदु ही थे, जिन्होंने खडीबोली को अंगुली पकड़कर चलना सिखाया।इसीलिए हिन्दी साहित्य के इतिहास के इस युग को ‘भारतेंदु-युग’ के रूप में स्मरण किया जाता है। भारतेंदु के नाटक ‘सत्य हरिश्चन्द्र’और ‘अंधेर-नगरी’ सौ साल बाद भी प्रासंगिक बने हुए हैं। आज भी इनके सफल मंचन हो रहे हैं। भारतेंदु के नाटक जन-मानस को झकझोरते और आंदोलित करते हैं।यह बातें शुक्रवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, भारतेंदु जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। इस अवसर पर उन्होंने हिन्दी के सुविख्यात साहित्यकार और साहित्यिक पत्रिका ‘गगनांचल’ के संपादक डा आशिष कांधवे को ‘भारतेंदु हरिश्चन्द्र स्मृति सम्मान’ से विभूषित किया।अपना विचार रखते हुए, डा कांधवे ने कहा कि ‘भारतेंदु’ एक व्यक्ति नामक शब्द नहीं, कर्म बोधक संज्ञा भी है। उन्होंने अपने मुहावरों और रोचक शब्दावली से हिन्दी को रोज़गार की भाषा बनाते हैं। नई पीढ़ी के लिए जो संदेश भारतेंदु ने दिए, उसे आगामी पीढ़ियों तक पहुँचाने का दायित्व हम साहित्याकारों का है।इसके पूर्व समारोह का उद्घाटन करते हुए, बिहार के पूर्वमंत्री और पूर्व सांसद विजय कृष्ण ने कहा कि भारतेंदु जी हिन्दी साहित्य के प्रकाश-स्तम्भ हैं। उनसे प्रकाश लेकर आज भी नव आगंतुक अपना रास्ता खोज सकते हैं।इस अवसर पर आयोजित लघुकथा गोष्ठी में सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने ‘ज़रा समझिए तो सही’, डा पूनम आनंद ने ‘नारियल पानी’, विभारानी श्रीवास्तव ने ‘ज्वालामुखी’, डा ध्रुव कुमार ने ‘विज्ञापन के मूल्य’, पुष्पा जमुआर ने ‘पररब’, कुमार अनुपम ने ‘इलाज’, प्रीति सुमन ने ‘महाकाव्य के पन्ने’, रेखा भारती ने ‘ऐप्वाइंटमेंट’, डा मीना कुमारी परिहार ने ‘आसमान से बातें’, श्याम बिहारी प्रभाकर ने ‘मकान ख़ाली रह गया’, लता प्रासर ने ‘कोई तो है’ तथा अजित कुमार भारती ने ‘बंदर’ शीर्षक से अपनी लघुकथा का पाठ किया। मंच का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रबंधमंत्री कृष्णरंजन सिंह ने किया।आज विद्यार्थियों के लिए श्लोक-गायन-प्रतियोगिता आयोजित हुई,जिसमें लिट्रा वैली स्कूल,पटना, संत जोसेफ कौंवेंट है स्कूल, जेठुली,किलकारी, बिहार बाल भवन, सैदपुर, सुदर्शन सेंट्रल स्कूल, पटना सिटी, कोमलम ज्ञान केंद्र, कंकड़बाग, माँ जगदंबा शिक्षण संस्थान, पटना, रेड कार्पेट हाई स्कूल, पटना, दिल्ली पब्लिक स्कूल, पटना और विमेंस कौलेज, पटना के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।हिन्दी पखवारा के अंतर्गत संचालित ‘संस्कृत संभाषण शिविर’ के ८वें दिन शिविर के मुख्य आचार्य डा मुकेश कुमार ओझा ने क्रिया ज्ञान की शिक्षा दी तथा सरल पंक्तियों के निर्माण का प्रशिक्षण दिया।इस अवसर पर,वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, प्रो सुशील झा, डा सुषमा कुमारी, चंदा मिश्र, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, डा बी एन विश्वकर्मा, लता प्रासर, निर्मला सिंह, नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल’, रामाशीष ठाकुर, मो महफ़ूज़ आलम, डौली कुमारी, सदाबहार कुशवाहा, कुमार गौरव, चंद्रशेखर आज़ाद, डा प्रतिभा रानी, अमन वर्मा, अमित कुमार सिंह, रवींद्र कुमार सिंहा, शोभित सुमन, दुःखदमन सिंह, दिगम्बर जायसवाल, अमित कुमार सिंह आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।कल पखवारा के १०वें दिन २ बजे से विद्यार्थियों के लिए ‘देशभक्ति गीत-प्रतियोगिता’ , ३ बजे से ‘संस्कृति संभाषण शिविर’ तथा ४ बजे से राजा राधिका रमण सिंह जयंती एवं लघुकथा-गोष्ठी आयोजित होगी।