पटना, १२ सितम्बर। स्त्री-मन के विविध रूपों और उनके संवेगों को अभिव्यक्ति देने वाली विभिन्न भावों की कविताओं और गीत-ग़ज़लों से साहित्य सम्मेलन का ऐतिहासिक सभागार झूमता-मचलता रहा। अवसर था हिन्दी पखवारा के अंतर्गत आयोजित कवयित्री सम्मेलन का। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुए इस दिव्य और मनोहारी कवि-सम्मेलन में दो दर्जन से अधिक कवयित्रियों ने अपने भावों को संगीतात्मक अभिव्यक्ति दी।दीप-प्रज्ज्वलन के पश्चात काव्य-पाठ का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। सुप्रसिद्ध सुकंठी कवयित्री आराधना प्रसाद ने अपनी इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल का सस्वर पाठ कर श्रोताओं का दिल जीत लिया कि, “तुम क्षितिज पर सूर्य हो, मैं धूप हल्की गुनगुनी हूँ/ तुम किनारों से हो जोगी और मैं चंचल नदी हूँ”। मशहूर शायरा तलअत परवीन ने जब यह कहा कि “हुश्न अपना दिखा दिया उसने/ सब को पागल बना दिया उसने” तो सारा सभागार तालियों से गूंज उठा। उनके अगले शेर को “एक कतरा किसी ने मांगा था/ और दरिया बहा दिया उसने” को भी ख़ूब सराहना मिली।डा पुष्पा जमुआर ने स्त्री-मन की पीड़ा को इन शब्दों में व्यक्त किया कि – “ रुको श्री राम ! मुझे छूना नहीं/ मुझे पत्थर ही बने रहने दो/ जो आप मुझे छू लेंगे तो/ मै फिर से नारी बन जाऊँगी/ फिर कोई इन्द्र मुझ पर बुरी दृष्टि डालेगा! मैं फिर पत्थर बना दी जाऊँगी !”। डा कुमारी अनु का कहना था कि – “विरह के पतझड़ में ही प्रीत का संसार प्रियतम / विकल हृदय में है किलकते मिलन के आसार प्रियतम!”वरिष्ठ कवयित्री और सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा कल्याणी कुसुम सिंह, पूनम आनंद, विभा रानी श्रीवास्तव, सागरिका राय, पूनम सिन्हा श्रेयसी, डा अर्चना त्रिपाठी, डा सीमा यादव, डा मंजू दूबे, डा सुषमा कुमारी, जबीं शम्स, सुजाता मिश्र, डा कुमारी अनु, राज प्रिया रानी, डा प्रतिभा पराशर, मधुरानी लाल, डा सुधा सिन्हा, डा पुष्पा गुप्ता, डा मीना कुमारी परिहार, सुधा पाण्डेय, डा सीमा यादव, डा अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, डा अर्चना सिन्हा, डा प्रतिभा रानी, प्रेमलता सिंह राजपुत, डा उषा कुमारी, गरिमा मिश्र, स्वाति शिखा, डा अलका वर्मा, हर्षिता गुप्ता, नीता सिन्हा, डौली बागड़िया तथा कुमारी मेनका ने भी अपनी रचनाओं से कवयित्री-सम्मेलन को यादगार बना दिया। मंच का संचालन डा शालिनी पाण्डेय ने किया।इसके पूर्व संस्कृत-कार्यशाला आयोजित हुई, जिसमें शाला के प्रमुख आचार्य डा मुकेश कुमार ओझा ने, पूर्व के पाठों का अभ्यास कराया। प्रतिभागियों ने संस्कृत में अपना परिचय दिया।श्रोताओं में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ, बच्चा ठाकुर, आरपी घायल, डा पंकज वसंत, कुमार अनुपम, डा मुकेश कुमार ओझा, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, ब्रह्मानन्द पाण्डेय, नीरव समदर्शी, मोईन गिरिडीहवी प्रो सुखित वर्मा, डा प्रेम प्रकाश, बाँके बिहार आव, कृष्ण रंजन सिंह, डा चंद्र शेखर आज़ाद, रामाशीष ठाकुर, दुःखदमन सिंह, कुमार गौरव तथा पवन सिंह समेत बड़ी संख्या में सुधी श्रोता और साहित्यकार उपस्थित थे।
