शिप्रा की रिपोर्ट /’दिनकर क्रांति के कवि हैं’ स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कुछ आलोचको ने ‘दिनकर’ को निश्तेज मान लिया था, लेकिन जब 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो राष्ट्र कवि का पौरूष पुन: जाग उठा । वस्तुत: दिनकर क्रांति के कवि हैं । आज हिन्दी विभाग टी. पी. एस. कॉलेज पटना में आयोजित दिनकर जयंती महोत्सव में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सह हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शशि भूषण चौधरी ने यह बात कही । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. जावेद अख्तर खाँ ने कहा कि ‘दिनकर मात्र ओज और पौरूष के ही नहीं बल्कि प्रेम और मानव-मन के भी कवि हैं – झुके हुए हम धनुष मात्र हैं, तनी हुई ज्या पर किसी और की इच्छाओं के बाण चला करते हैं । उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से बच्चों के व्यक्तित्व विकास का भी मौका मिलता है। आज के इस कार्यक्रम में स्नातक प्रथम वर्ष के छात्र अंकित कुमार ने रश्मित्थी के तृतीय वर्ग से – ‘जब नाश मनुष्य पर छाता है पहले विवेक मर जाता है’ आदि पंक्तियों को सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हिन्दी स्नातक अंतिम वर्ष का छात्र सूर्यदेव सिंह ने दिनकर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाल खुब तालियाँ बटोरी । नीरज कुमार स्नातक द्वितीय वर्ष ने रश्मित्थी के कर्ण के समान भाव-भंगिया के साथ काव्य पाठ कर सभा को स्तब्ध कर दिया । स्नातक द्वितीय वर्ष के आदर्श कुमार ने दिनकर की पक्तियों के साथ जब अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया तो लोगों में वाह वाही गुंज उठी । इस कार्यक्रम में प्रो. कृष्णनंदन प्रसाद, प्रो. अबू बकर रिज़वी, प्रो. नूरी, प्रो. उषा किरण, प्रो. श्वेता कुमारी, प्रो. रघुवंश मणी, उप-प्राचार्य प्रो. श्यामल किशोरआदि शिक्षक-शिक्षिकाओं के सहित असंख्य छात्र-छात्राओं ने कार्यक्रम को सफल बनाया । कार्यक्रम के मंच संचालन का कार्य डॉ. शुचि स्नेहा ने किया तो धन्यवाद ज्ञापन नंदन नीरव जी ने किया । साथ ही उन्होंने दिनकर की कविता ‘जनतंत्र का जन्म’ का पाठ भी किया । प्रो. अबू बकर रिज़वीमीडिया प्रभारीटी.पी.एस. कॉलेज, पटना