अजित कुमार सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट /बोकारो में खून पीती महिला। इसे सुनकर आप भी चकित हो जाएंगे लेकिन इसे आस्था कहे या अंधविश्वास क्योंकि जिस कदर भक्तों की भीड़ दुर्गा पूजा के नवमी को बोकारो जिले के बालीडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत कुर्मीडीह में होती है जहा बकरे की बलि के बाद एक महिला ताज़ा गर्म खून पीकर अपने को तृप्त करती है। बोकारो में इस पूजा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। मां शारदे की नवरात्रि की 9 दिनों की पूजा के बाद नवमी को बलि की प्रथा कहीं कहीं देखने को मिलती है झारखंड के बोकारो जिले में भी दुर्गा पूजा के दिन नवमी में बलि प्रथा होती है। बोकारो के बालीडी थाना क्षेत्र के कुर्मीडी मैं मालती देवी नामक एक महिला पर मां सवार हो जाती है ऐसा भक्तों का कहना है जहां मालती देवी जो दुर्गा की भक्त हैं नाचते गाते अपने घर में स्थित दुर्गा मंदिर से निकलती है हाथ में नीम का पत्ता होता है और महिला भक्तों द्वारा उन्हें संभाल कर ले जाया जाता है जहां जमीन में दंडवत होने के बाद वह बांस के खंभे में चढ़ जाती है और फिर नाचते गाते हैं बकरे की बलि के खून का वह सेवन करती है। भक्तों की माने तो तो इस दौरान इनके शरीर में मां दुर्गा सवार होती है और इनमें भाव आ जाता है इस दौरान बकरे की बलि के गरम गरम खून को मुंह से लगाकर वह पीती है। भक्तों का कहना है कि मालती देवी मां दुर्गा की आराधना करती है। 9 दिनों तक उपवास रहने के बाद नवमी को बलि के बाद ऐसा दृश्य देखने को मिलता है। जो भी भक्त आते हैं उनकी मनोकामना पूरी होती है और फिर बार-बार वह यहां आते हैं। इस दौरान भक्तों की माने तो जो भी भक्त यहां आते हैं उनकी मनोकामना पूरी होती है। यह पूजा सालों से चली आ रही है। मालती देवी का पुत्र राजेश जो इस पूजा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं उनका कहना है कि हम लोग बचपन से देखते आ रहे हैं और सालों से यह पूजा हो रही है जहां बिहार झारखंड और बंगाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस पूजा को देखने के लिए पहुंचते हैं। अब इसे आस्था कहे या अंधविश्वास लेकिन भक्तों की भीड़ जिस कदर से उमड़ पड़ती है और बकरे के ताजा खून पीने के बाद भी ना तो कोई बीमारी होती है और ना ही कोई समस्या ऐसे में समझा जा सकता है की भक्तों की भक्ति निराली है और यह श्रद्धा और आस्था के साथ-साथ धर्म की आस्था से जुड़ा हुआ मामला है।