अजित सिंह, झारखण्ड हेड /रांची/देश के कई जगहों पर आज आज भी भाईदूज का त्योहार मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक भाई दूज का त्योहार दीपावली के बाद मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। भाईदूज को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। भाईदूज के त्योहार के मौके पर बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाते हुए उनकी लंबी उम्र, अच्छी सेहत, सुख-समृद्धि और अच्छे भाग्य की कामना करती हैं। इस बार भाईदूज की तिथि को लेकर पंचांग में भेद है जिसके कारण कहीं पर 26 तो कहीं पर 27 अक्तूबर को भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है।
भाई दूज के त्यौहार को लेकर महुआडांड़ स्थित दीपा टोली में बड़ी स्नेह और प्यार के साथ बहनों के द्वारा यह त्यौहार मनाया जा रहा है। जिसे लेकर बहने काफी उत्साहित हैं और पूजा कर रहे हैं।
भाई दूज का महत्व और तिलक विधिधार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के त्योहार पर भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करते है फिर बहनें उनको तिलक लगाती हैं। इसके अलावा धार्मिक मान्यता के अनुसार भाई दूज या यम द्वितीया के दिन भाई-बहन साथ-साथ यमुना नदी में स्नान करने का बहुत महत्व है। इस दिन भाई-बहन हाथ पकड़कर यमुना में डुबकी लगाते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से यम की फांस और पापों से मुक्ति मिलती है।बहनों की थाली में इस दिन कलावा, रौली, अक्षत, नारियल,मिठाई और दीपक होते हैं। इस दिन बहन के घर भोजन करने और उसे भेंट देकर खुश करने से भाई के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
पौराणिक कथाओ अनुसार भाई दूज कथा।पौराणिक कथाओ अनुसार यमुना और यमराज दोनों ही भाई-बहन हैं। शास्त्रों के अनुसार यमुनाजी अपने भाई ‘यम’ से बड़ा स्नेह करतीं थीं, वे अपने भाई यम से बार-बार आग्रह करती कि वह उसके घर आयें और भोजन करें। चाहते हुए भी यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण बहन यमुना के घर नहीं जा पाते। बहुत समय बीत जाने पर एक दिन ‘यम’ को बहन यमुना की बहुत याद आई और उन्होंने बहन के घर जाने की ठान ली। यम ने अपने दूतों से यमुना को ढूंढ़ने के लिए कहा, लेकिन उन्हें तलाशने में दूत सफल नहीं रहे तब यमराज स्वयं ही गोलोक गए जहाँ विश्राम घाट पर यमुना जी से भेंट हुई, भाई को देखते ही यमुना ने भावविभोर होकर उनका बड़ा स्वागत सत्कार किया तथा उन्हें अनेकों प्रकार के परम स्वादिष्ट व्यंजन भोजन में परोसे। इससे यमदेव बहुत प्रसन्न हुए और बहन से कहा-बहन ! आज तुम कोई भी मनोवांछित वर मांग लो, बहन यमुना के मन में कलयुग में जन कल्याण की चिंता हुई और उन्होंने कहा, भैया मुझे वरदान दो कि जो भाई-बहन यम द्वितीया के दिन मेरे जल में स्नान करें उन्हें यमलोक की कठोर यातनायें न सहन करनी पड़े।