प्रिया सिन्हा की रिपोर्ट /झारखंड के साथ देश भर में एक अलग ही धूम होती है। लोग अपने आप इस पर्व में जुड़ते हैं और नि: स्वार्थ -भाव से गांव- मुहल्ले के साथ छठ घाटों की साफ – सफाई करते हैं और लाइटिंग की भी व्यवस्था करते हैं इस पावन कार्य में ग्रामिणों, सामाजिक संगठन के लोगों, जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, विभिन्न क्लबों द्वारा कही फल तो कहीं दूध का वितरण छठ व्रतियों के बीच करते देखा जा सकता है। लोगों की छठ माता और सुर्य भगवान के प्रति अटूट आस्था के कारण ही इस चार दिवसीय महापर्व में व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रहकर नदियों , तालाबों,व अन्य जलाशयों में माथे में फल फूल से धूप- दीप से सजी दाउरा अपने घरों से माथे पर लेकर छठ घाट पहुंचे हैं और साक्षात देवता भगवान भास्कर की प्रतिक्षा कर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को अस्ताचलगामी व दुसरे दिन प्रातः काल उदयीमान सुर्य को अर्घ्य देते हैं और अपनी सर्व मंगलकामाना की प्राप्ति के लिए भगवान भास्कर व छठ माता से आशीर्वाद मांगते हैं।इस मौके पर छठ पूजा समितियों के साथ प्रशासन भी विधि -व्यवस्था को लेकर विभिन्न छठ घाटों का निरिक्षण कर आवश्यक दिशा निर्देश देते दिखाई दिए ।