कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /जदयू की प्रदेश प्रवक्ता श्रीमति अंजुम आरा ने भाजपा नेताओं द्वारा नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए गठित स्वतंत्र अति पिछड़ा वर्ग आयोग की वैधता पर सवाल उठाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा नेताओं को इस विषय में अनुसन्धान करके ही कुछ बोलना चाहिए। भाजपा नेताओं को यह पता होना चाहिए कि वर्ष 2021 में उनके दल के द्वारा ही मध्य प्रदेश में गठित पिछड़ा वर्ग आयोग का आधार क्या था?अंजुम आरा ने कहा कि भंाजपा नेतााओं के द्वारा ऐसा सवाल उठाना उनकी अज्ञानता हैं। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अति पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए गठित आयोग में बालाघाट से भाजपा के विधायक एवं पूर्व मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन को अध्यक्ष बनाया गया था। तब ऐसे में उनका इस तरह का वक्तव्य पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है।उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित कमीशन के रिपोर्ट को याचिकाकर्ता सुरेश महाजन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जब चुनौती दी गई तो 18 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में रिपोर्ट की वैधता पर टिप्पणी करने से इंकार करते हुए कहा था कि इस रिपोर्ट की वैधता और सत्यता पर हम सवाल नहीं कर सकते। इस रिपोर्ट को जब भी चुनौती दी जाएगी तो इस पर कानून और संविधान के दायरे में ही विचार किया जा सकता है। तात्कालिक रूप से सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट को पूर्ण मानकर मध्य प्रदेश सरकार को चुनाव करवाने का आदेश दिया था। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने आयोग की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश में बिना किसी न्यायिक आयोग के गठन किये नगर निकाय एवं पंचायत चुनाव भी करवाए थे। बिहार के अति पिछड़ों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाली भाजपा को अपने द्वारा शासित प्रदेश के इस तथ्य की जानकारी होती तो वो मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी द्वारा गठित अति पिछड़ा वर्ग आयोग की वैधता पर सवाल कभी नहीं उठाते।उन्होंने आगे कहा कि अति पिछडा वर्ग आगे बढे यह भाजपा कभी नहीं चाहती है और इसीलिए उसके द्वारा हमेशा कोई ना कोई बाधा उत्पन्न करने का प्रयास किया जाता रहा है। नगर निकाय, पंचायती राज और पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग विभाग पिछले वर्षों में जब भाजपा के पास ही था, तो इस सम्बन्ध में व्यावहारिक निर्णय लेने की दिशा में भाजपा ने कभी कोई कदम नहीं उठाया। जबकि माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा अतिपिछड़ों के कल्याण की दिशा में लगातार कई व्यापक काम किये गए हैं। आज जब बिहार सरकार जल्द से जल्द निर्णय लेकर निकाय चुनाव कराए जाने के पक्ष में है तो भाजपा नेताओं के पेट में दर्द हो रहा है।