विवेक राज की रिपोर्ट -गोपालगंज। जिले के बैकुंठपुर प्रखंड स्थित समुदायिक स्वास्थ्यय केंद्र के छत से एक नवजात बच्ची को स्वास्थ्कर्मियों द्वारा देख डॉक्टर को सूचना दी जिसके बाद डॉक्टर ने बाल कल्याण समिति व विषय दत्तक ग्रहण संस्था को बुलाकर सुपुर्द कर दिया। बच्ची की स्थिति काफी खराब रहने के कारण उसे सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया जहां बच्ची के स्वस्थ्यय हो जाने के बाद डॉक्टर द्वारा दत्तक ग्रहण संस्थान को सौप दिया।दरअसल कहा जाता है हम लाये हैं तूफान से कश्ती निकालकर इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल कर’मगर अफसोस जिन बच्चों को देश को संभालकर रखने की बात इस गीत में कही गयी है,आज उनकी गर्भ में ही हत्या कर दी जा रही है अथवा मरने के लिए खुले स्थान पर छोड़ दिया जा रहा है। बच्चों का जो प्रमुख अधिकार है, उनमें जीने का भी एक अधिकार है। लेकिन वर्षो से बच्चों को समय-समय पर जीने के अधिकार से वंचित करने का जो सिलसिला शुरु है वह आज भी जारी है। कुछ की भ्रूण हत्या की जा रही है तो कुछ को जन्म के बाद मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा है। लोक-लाज, गरीबी की बोझ, बढ़ते दहेज, उन्मुक्त किशोरावस्था, बेटे की चाह आदि कारणों से आये दिन इस तरह की घटनाएं घट रही हैं। ताजा मामला वैकुंठपुर समुदायिक स्वास्थ्य के छत पर सुबह-सुबह नवजात शिशु जीवित अवस्था मे रखा हुआ मिलने से सनसनी फैल गई। मंगलवार की सुबह बच्ची की रोने के आवाज सुन मौके पर मौजूद स्वस्थ्यय कर्मियों ने जाकर देखा तो कपड़े में लिपटा मासूम बच्ची पड़ी हुई थी। ऐसा लगता था कि देर रात किसी ने बच्ची को वही छोड़ दिया और रात भर बच्ची वही पर पड़ी रही। वही समुदायिक स्वास्थ्यय केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने मानवता का परिचय देते हुए तत्तकाल बाल कल्याण समिति व विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान को सूचित कर बुलाया और नवजात बच्ची को उनके हवाले कर दिया। बच्ची की स्थिति गम्भीर होते देख उसे सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया जहां बच्ची वे स्वास्थ्य होने के बाद डॉक्टर मयंकेश्वर सिंह ने बच्ची को विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान के इंचार्ज कॉर्डिनेटर निरुपमा गोस्वामी को सौप दिया।