जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 27 नवम्बर ::शादी के लगभग 10 वर्ष बाद पूनम नेअपने पति को बिना बताये अपने बच्चों के साथ पहुँची मायके। उक्त जानकारी मानव अधिकार रक्षक की संस्थापिका रीता सिन्हा और राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविन्द कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि दीपक कुमार ने मानव अधिकार रक्षक संस्था में 14नवम्बर को लिखित आवेदन देकर अनुरोध किया था कि मैं अपनी पत्नी पूनम कुमारी और अपने बच्चों से मिलना चाहते है, जिसमें मेरी मदद करें। उन्होंने बताया कि उनकी मदद के लिए मानव अधिकार रक्षक ने एक टीम तैयार की, जिसमे संस्थापिका रीता सिन्हा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रितु कुमारी, कंकड़बाग टीम लीडर किरण, एक्टिव मेंबर रश्मि सिंह, रमा गुप्ता, सरिता, उत्तरीय पटना जिला उपाध्यक्ष विजया लक्ष्मी शामिल थी।उन्होंने बताया कि रेलवे में लोको पायलट के पद पर काम करने वाले दीपक कुमार ने लिखित रूप में जानकारी दी कि वे अपनी पत्नी के साथ पटना के दीघा छेत्र में रहता था, लेकिन 4 महीने से पत्नी बच्चो के साथ मायके बिना बताय चली गई। जबकि शादी हुए करीब 10 साल हो गये है। 17 जुलाई, 2022 को पत्नी अपना गहना, कपड़ा और बच्चों के कपड़ा और डउकुमेंट, 6-7 बैग, मेरा एक ड्यूटी बैग, कुछ नगद रुपये लेकर गई है और वापस अब नहीं आने की बात करती है।मामले को सुलझाने और पूरे मामले को समझकर दोनो के बीच आपसी समझौता करवाने के उद्देश्य से जब मानव अधिकार रक्षक टीम दीपक कुमार के साथ उसके पत्नी के घर पहुंची तब दीपक कुमार के ससुराल वाले बात करने को बिलकुल ही तैयार नहीं हुए। बल्कि मानव अधिकार रक्षक की टीम के साथ बदसलूकी करने पर उतर आएं। बदसलूकी को देखते हुए मजबूरन मानव अधिकार रक्षक टीम को पुलिस की सहायता के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। लेकिन लड़की और उसके परिवार वालों ने 112 के महिला सिपाही के साथ भी हाथापाई करने लगी। जब मानव अधिकार रक्षक टीम ने थाने से जब मदद मांगी तो आलमगंज थाना से मदद माँगी तो आलमगंज थाना ने कोई सपोर्ट नहीं किया, जिसके कारण मानव अधिकार रक्षक की टीम बिना समझौता या समाधान किए वापस लौट गई और पुनः टीम तैयार कर जायगी।राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविन्द कुमार ने बताया कि पूनम कुमारी की आदत है, जो बिना पति की जानकारी के घर से भाग कर कभी मार्केटों कभी अपने बहनोई के घर पहुँच जाती है। ऐसी बाख्या दीपक कुमार जब लुधियाना में पोस्टेड थे तो लुधियाना से भी पूनम कुमारी दो तीन बार भागी है। इतना ही नहीं, पूनम कुमारी अपना भाई के पास कुर्जी में जब रहती थी तो बिना बताय चली जाती थी और वही रहने लगती थी। ऐसा ही व्यवहार पूनम कुमारी अपने पति के विरुद्ध करती हुई अपने बहनोई के पास भी रहने लगती थी।उन्होंने बताया कि अजूबा बात तो तब हुआ जब पूनम कुमारी बच्चे को जन्म दी और उसकी जानकारी पूनम की पति दीपक कुमार को नहीं दी गई। इस संदर्भ में जब दीपक कुमार से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि पूनम के बहनोई का पोस्टिंग गया स्टेशन पर था क्योंकि वे RPF में ASI है। पहले बेटे मे सिर्फ एक माह कि मेरी पत्नी प्रेग्नेंट थी, तब उसका भाई 06-04-2012 को आया और 08-04-2012 को अपनी बहन को बिना मेरी जानकारी के अपने साथ ले गया। मेरे मकान मालिक नेइसकी जानकारी दी। जब मैं उनका पीछा कर मुग़लसराये स्टेशन पहुँचा तो उसका बहनोई 4 RPF के जवान के साथ स्टेशन पर मेरे साथ मार पिट धक्का मुक्की किया और मेरी पत्नी को अपने साथ ले गया।राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि दीपक कुमार ने उसकी इन्फॉर्मेशन पटना मजिस्ट्रेट को दिया गया और नोटिस भी जारी हुआ लेकिन वो मेरे बच्चे के जन्म (10-11-2012) से पहले ही जुलाई, 2012 में 498 का केस कर दिया था, जिसके कारण लड़का को 2 साल बाद देखा था।उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी अपने बहनोई (जीजा) के घर हमेशा जाती है और वहाँ रहती है ऐसा मेरा बड़ा लड़का बताता है। जब उसके बहनोई का पोस्टिंग गया में था, तो वहाँ भी जाकर मेरी पत्नी रहती थी और उसके बाद जब उसके बहनोई का पोस्टिंग पंडित दीनदयाल स्टेशन पर हो गया है तो वहाँ भी मेरी पत्नी को लेकर जाते है और मेरी पत्नी उनके साथ रहती है।अभी उसका बहनोई संजीव कुमार, RPF मे इंस्पेक्टर के पोस्ट पर है।दीपक कुमार ने बताया कि बच्चा होने की कोई जानकारी मुझे नहीं दी गई थी। मेरा फोन मेरी पत्नी ब्लॉक कर के रखती थी और कभी फोन उठाती भी थी, तो अपनी माँ को दे देती थी। माँ सिर्फ पैसो का डिमांड करती थी और कहती थी की पैसा नहीं दोगे तो 498 केश का बेल तुरवा देंगे और पूरे परिवार को जेल भेजवा देंगे।पहला बच्चा मायके मे हुआ और दो साल बाद देखा हाई कोर्ट के डिसीजन के बाद,दूसरा बच्चा लुधियाना के अपोलो हॉस्पिटल मे हुआ था।वहां उस समय हमारी पत्नी के माँ, पिता और भाई दीपक भी आया हुआ था।हॉस्पिटल से लेके आया भी नहीं था तो हमारी पत्नी और दोनो बच्चो को पटना ले जाने कि बात कही और तीनो मिलकर मार पिट भी करने लगे थे।तो लुधियाना के पुलिस ने मेरे पत्नी के माँ,बाप,भाई को लुधियाना से जाने को कहा। उन्होंने बताया कि हमारी पत्नी का कहना है जो हम कर रहे है करने दो और कहती है कि मायके में आइए और यहीं दोनो मिलते है।राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविन्द कुमार ने बताया कि जब दीपक कुमार से केस के संबंध में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि केस करने का मुख्य करण यह है कि मेरी पत्नी कि बड़ी बहन की शादी के 10-12 साल होने के बाद भी कोई बच्चा नहीं हुआ था तो हमारी सास (पत्नी की माँ) बार बार हमारी पत्नी को अपने बड़े दमाद के पास भेजा करती थी।जब मेरा दोनो बेटा हो गया तो इसकी माँ बड़ी लड़की को test tube babby करवाई।लेकिन हमारी पत्नी को अपने बड़े दामाद के सामने भेजती रही,या अपने अर्फाबाद घर बुलाकर मिलवाती रही। क्योंकि हमारी पत्नी की बड़ी बहन का घर बच्चा नहीं होने के कारण टूटने के कागर पर था क्योंकि शादी के काफि दिन हो गये थे। मेरे पहले लड़का होने के समय पूरी कोशिश किया गया कि 498 केस के जरिये मेरे साथ मेरी पत्नी नहीं रहे और मुझसे कॉम्पन्सेशन भी ले। लेकिन मै हिम्मत नहीं हारा और अपने बच्चो को किसी और के हवाले नहीं किया। हमारी सास बड़ी बेटी के घर बसाने के लिये हमे और हमारी पत्नी को बली का बकड़ा बनाया जा रहा है।उन्होंने बताया कि हमारी सास और पत्नी के दहशत से हमारा दीघा वाले घर में अब ताला लग गया।क्योंकि घर आकर गाली गलौज करती है। बहनोई इंस्पेटर है इसलिए पत्नी और सास उसका सहारा लेकर हमें तो बच्चों से दूर कर ही दिया है। मेरे माँ भाई और जो बहने कभी मेरी पत्नी को फोन नहीं करती है को मेरी पत्नी की माँ और हमारी पत्नी सबको फोन करके गाली गलौज करते रहती है। उन्होंने यह भी बताया कि पत्नी के पिता यानि मेरे ससुर दो नाम से जाने जाते है। एक नाम सुरेन्द्र प्रसाद शर्मा है और दूसरा नाम महेंद्र प्रसाद शर्मा है। दोनों नाम में संदेह तब हुआ जब सुरेंद्र प्रसाद शर्मा धनरुआ (मसौढ़ी) के निवासी और महेन्द्र प्रसाद शर्मा राजगीर (विरायतन) के रहने वाले है।मानव अधिकार रक्षक के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हमारी संस्था इस समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत है और उम्मीद है की जल्द ही समाधान हो जायेगा।
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