पटना, ३ दिसम्बर। बिहार में जब तक विकलांगता निवारण और पुनर्वास विभाग के रूप में राज्य सरकार के अंतर्गत अलग से विभाग नहीं सृजित किया जाता, तबतक न तो वैज्ञानिक रूप से विकलांगजनों का सर्वेक्षण हो पाएगा और न उनकी समस्याओं और चुनौतियों का समाधान ही। मुख्यमंत्री जी को चाहिए कि वे समाज कल्याण विभाग से अलग कर इसे एक स्वतंत्र विभाग बनाएँ।
यह आग्रह, विश्व विकलांग दिवस पर, शनिवार को बेउर स्थित संस्थान इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च में आयोजित चार दिवसीय विश्व विकालांग दिवस समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने किया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टि से सर्वेक्षण होने पर ७ प्रतिशत से अधिक लोग किसी न किसी प्रकार की विकलांगता से ग्रस्त पाए जाएँगे। यह एक बड़ी आबादी है, जिस पर सरकार का विशेष ध्यान जाना चाहिए। इनमे से अधिकांश को, थोड़े से प्रयास से आत्म-निर्भर और समाज की मुख्य धारा में लाया जा सकता है। इसीलिए इस हेतु अलग विभाग अपेक्षित है।इस अवसर पर संस्थान परिसर में निःशुल्क पुनर्वास शिविर भी लगाया गया, जिसमें फ़िज़ियोथेरापी, नेत्र-जाँच, श्रवण-जाँच आदि की सुविधाएँ उपलब्ध करायी गयीं । पाँच श्रवण-विकलांगों को निःशुल्क श्रवण-यंत्र दिए गए।अतिथियों का स्वागत संस्थान के वाक् एवं श्रवण विभाग के अध्यक्ष डा विकास कुमार सिंह ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन फ़िज़ियोथेरापी विभाग की अध्यक्ष डा संजना रंजना ने किया। निदेशक आभास कुमार, नेत्र-विभाग की अध्यक्ष प्रो जया कुमारी, डा रजनी ठाकुर, प्रो चंद्रआभा, प्रो प्रिया कुमारी, सरदार परमिंदर सिंह, प्रो प्रिंस कुमार, विशेष शिक्षक रजनी कांत, प्रो मधुमाला कुमारी, डा आदित्य ओझा, सूबेदार मेजर संजय कुमार समेत बड़ी संख्या में संस्थान के शिक्षक, कर्मी और छात्रगण उपस्थित थे। मंच का संचालन बैचलर औफ फ़िज़ियोथेरापी विभाग की छात्रा रक्षा भगत ने किया।आरंभ में संगीताचार्य पं श्याम किशोर के निर्देशन में छात्राओं ने स्वागत-गान प्रस्तुत किया।