पटना ब्यूरो , ३ दिसम्बर। ‘श्रीमद्भगवद्गीता आपके द्वार अभियान’ के तत्त्वावधान में शनिवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन सभागार में गीता जयंती के साथ देशरत्न डा राजेंद्र प्रसाद की जयंती मनायी गई। इस अवसर पर सभी अतिथियों और उपस्थित प्रबुद्धजनों को गीता की प्रतियाँ भेंट की गई।समारोह का उद्घाटन करते हुए अभियान के संरक्षक और पूर्व केंद्रीय मंत्री डा सी पी ठाकुर ने कहा कि,दुनिया भर में भारत के तीन पुस्तकों ‘गीता’, ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ को सर्वाधिक मान प्राप्त है। भारत के ये दिव्य ग्रंथ सबसे अधिक पढ़े जाते हैं। गीता में संसार का सभी ज्ञान उपलब्ध है।मनीषी विद्वान और संघ के उत्तर-पूर्व के क्षेत्र कार्यवाह डा मोहन सिंह ने कहा कि जो भारत संसार को ज्ञान का मार्ग दिया, कभी-कभी वह भी विभ्रांति का शिकार हुआ। सत्ताधारी अत्याचारी होने लगे और अर्जुन जैसा महारथी मोह-ग्रस्त होने लगा तो गीता का प्राकट्य हुआ, जिसका आश्रय लेकर अर्जुन ही नहीं, इस युग के शिवाजी जैसे लोग अत्याचार के विरुद्ध खड़े हुए। गीता मनुष्य को कर्म-पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा और शक्ति देती है। फिर महाभारत न हो, हमें इसलिएसभा की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि गीता वेद, वेदांग और उपनिषदों की सार है। इसमें समस्त विश्व में मानव जाति के एकत्व और वसुधा के कल्याण की शक्ति निहित है। इसका आश्रय लेने वाला व्यक्ति न केवल स्वयं को ऋषि-कोटि में ले जाता है, बल्कि समाज और राष्ट्र को उन्नत करत है। गीता को आचरण में लाकर विश्व की सभी समस्याओं का निदान किया जा सकता है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डा राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि देश को जिन लोगों ने गीता को अपने आचरण में उतारा, उनमे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और उनके विचारों के प्रणम्य वाहक राजेंद्र बाबू का नाम सबसे पहले आता है। वे राजनीति के साधु-पुरुष थे।अतिथियों का स्वागत करते हुए, अभियान के संचालक और आयोजन के संयोजक संजीव कुमार मिश्र ने कहा कि घर-घर, शहर-शहर गीता की प्रतियाँ पहुँचाकर विश्व का कल्याण किया जा सकता है। विगत दो वर्षों में ९० हज़ार गीता की प्रतियाँ बाँटी जा चुकी है।संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो मनोज कुमार झा, विनीता सिंह, डा राजनाथ झा, आलोक कुमार सिंह, अक्षय तिवारी, डा मुकेश कुमार ओझा तथा पं हृदय नारायण झा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संघ के क्षेत्र प्रचारक राम नवमी जी, प्रचार प्रमुख राजेश पाण्डेय, प्रांत प्रचारक राणा प्रताप सिंह, न्यायालय में अधिवक्ता आशीष कुमार सिन्हा, रंजन कुमार मिश्र, आशीष कुमार सिन्हा, कृष्णरंजन सिंह, आरती पाण्डेय, बबीता कुमारी, अजीत कुमार राम, राघव नाथ झा, दीपक राज, अभिजीत राज, डा ओम् प्रकाश जमुआर, बच्चा ठाकुर, कवि कमल किशोर कमल, शायरा तलत परवीन, ब्रह्मानन्द पाण्डेय, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, श्याम बिहारी प्रभाकर, डा नवल किशोर शर्मा, चंदा मिश्र, नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल, ज्ञानेश्वर शर्मा, पं गणेश झा, अर्जुन प्रसाद सिंह, रीतेश रंजन सिंह, रेशमा प्रसाद तथा संजीव यादव समेत बड़ी संख्या में गीतानुरागी उपस्थित थे।आरंभ में अतिथियों द्वारा विधि-पूर्वक गीता-ग्रंथ की पूजा की गई तथा दीप-प्रज्वलन कर समारोह का उद्घाटन किया गया। संत पशुपतिनाथ वेद विद्यालय के ३० बटुकों ने वेद-पाठ के साथ मंगलाचरण प्रस्तुत किया। मंच का संचालन सम्मेलन की कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन अभियान के वरीय सदस्य विपिन भारती ने किया.