कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /Dr. Piyush Ranjan के द्वारा लिखित पुस्तक “इंद्रधनुष के कितने रंग ” प्रभात प्रकाशन के द्वारा हुआ प्रकाशित, इस किताब के बिक्री से जो आए प्राप्त होगा.उसपर रचनाकार के द्वारा शपथ लिया गया है कि इससे होने वाले समस्त धनलाभ को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान AIIMS दिल्ली के गरीब मरीजों के इलाज के लिए दान में देने का फैसला हुआ है. पुस्तक के रचनाकार डॉक्टर पीयूष रंजन का जन्म बिहार राज्य के बेगूसराय जिले में हुआ. उनकी स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय बरौनी उर्वरक नगर बेगूसराय में हुई. रचनाकार डॉक्टर पीयूष रंजन ने MBBS और MD की शिक्षा राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान रांची से प्राप्त की. तत्पश्चात उन्होंने लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली से सीनियर रेजिडेंट का प्रशिक्षण प्राप्त किया. चिकित्सकीय सेवा का आरंभ उन्होंने देश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सकीय केंद्र अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली से किया.आश्चर्य की बातें है कि विज्ञान के विद्यार्थी होने और फिर चिकित्सा सेवा में आने के बावजूद प्रारंभ से ही उनकी हिंदी भाषा और साहित्य में गहरी रूचि रही हैं. “इंद्रधनुष में कितने रंग” उनकी रचनाओं का पहला संग्रह है. इसमें उन्होंने अपने गीत- ग़ज़ल और कविताओं को प्रस्तुत किया है.” कंट्री इनसाइड समाचार ग्रुप ” देशवासियों और देश के युथ और युवतियों से अपील करता है कि ज्यादा से ज्यादा इंद्रधनुष में कितने रंग को खरीदें. इस किताब को पढ़ने से आपको गजल और हिंदी की तो अनुभूति होगी प्राप्त होगा इससे एम्स दिल्ली में गरीब मरीजों का इलाज होगा.रचनाकार डॉक्टर पीयूष रंजन लिखते हैं.भावनाओं के कई रंग होते हैं और सभी रंगों का अपना एक अलग ही मजा होता है। जब से जिंदगी को समझा है, जिंदगी को सिर्फ अपने दिल की सुनकर, भावनाओं से परिपूर्ण जीया है। यह पुस्तक इंसान के इंद्रधनुषी भावनाओं के उन रंगों को सहेजने का एक प्रयास है, जिसका अनुभव जिंदगी के किसी-न-किसी मोड़ पर मुझे हुआ है।‘इंद्रधनुष के कितने रंग’ जिंदगी के विविध रंगों को पन्नों पर उतरने की एक कोशिश है। ‘फलसफा’ में जिंदगी के मूल्य को समझते हुए, अपने कृत्य के द्वारा जिंदगी को और भी ज्याद मूल्यवान बनाने का संदेश दिया गया है। ‘जिंदगी दो पल की’ होती है। अफसोस, ज्यादातर लोग इस बात को जब तक समझ पाते हैं, तब तक ये पल बीत गए होते हैं.