सीनियर एडिटर -शैलेश तिवारी /नारी की स्वतंत्रता पर सवाल उठाता हुआ नाटक कुच्ची का कानून की हुई मंच प्रस्तुति।आज शाम को होगा मंच पर नाटक हुलहुलिया lसमसामाजिक चुनौतियों से लड़ता नाटक कुच्ची का कानून की शानदार प्रस्तुति मंगलवार को हुई । राजधानी पटना के प्रेमचंद रंगशाला के मुख्य मंच पर 18वां रंगकर्मी प्रवीण स्मृति नाट्य उत्सव के चौथे दिन प्रवीण सांस्कृतिक मंच की ओर से नाटक मंचन किया गया। हिंदी में ऐसे नाटकों का प्रायः कम ही मंचन होता है, जो समसामयिक चुनौतियों को सामने रखता हो। शिवमूर्ति की इस कहानी का नाट्य रुपांतरण अविजीत चक्रवर्ती ने किया था वहीं परिकल्पना व निर्देशन बिजेंद्र टॉक ने की थी। जिसमें नारी स्वतंत्रता व उनके सवालों को एक नये परिपेक्ष्य में पेश किया गया। नाटक की नायिका कुच्ची जब पंचायत में अपना पक्ष रखते हुए सवाल करती है कि जब मेरे हांथ, पैर, आंख, कान, नाक पर मेरा हक है, तो मेरे कोख पर मेरा हक क्यों नहीं हैं। नायिका के इस सवाल ने समस्त दर्शकों को झकझोर कर रख दिया और यह सवाल उत्पन्न हुआ कि किसी स्त्री का पुरुष से शारिरीक संबंध बनाना व गर्भ धारण करना दोनों अवधारणा भिन्न – भिन्न हैं। स्त्री के गर्भ धारण को लेकर वैध व अवैध सवाल उठते रहे। ऐसे में एक स्त्री परिवार और समाज की प्रतिक्रियाओं के समाने परास्त होती रही। जिममें आगे यह दर्शाया गया कि स्त्री परास्त नहीं होती उसका यह तर्क स्वीकार करना पड़ता है कि जब उसके शरीर के तमाम अंगों पर उसका अधिकार है तो गर्भ धारण का अधिकार भी उसी का है। इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं की जा सकती । यह नाटक नारी की पीड़ा व उसकी आजादी पर सवाल करता हुआ प्रस्तुत होता है। वहीं पुरुष मानसिकता पर एक बड़ा सवाल भी उठाता है। वरिष्ठ रंग निर्देशक ने इस प्रस्तुति को धार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मंच व्यवस्था से लेकर लाईटिंग पर विशेष ध्यान दिया। सभी अभिनेताओं ने अपनी मेहनत से प्रस्तुति को जीवंत बनाया। कई किरदारों की बेहतरीन अदाकारी ने दर्शकों की खूब वाहवाही बटोरी। मंचन के दौरान दर्शक उसमें डूबे नजर आए। पात्रों में कुच्ची- रूबी खातून, बनवारी – मृत्युंजय प्रसाद, सास – उज्जवला गांगुली, रमेशर – ज़फ़र अकबर, सुलक्षणी – विनीता सिंह, बलई बाबा – राहुल रंजन, धनईबाबा-स्पर्श मिश्रा, लक्ष्मण चौधरी – कुणाल कुमार, सुघरा – ईशा नारायण, बिटानू – विवान, अन्य – अरविंद जी, बलवंत , विशाल , पीयूष , धनिष्ठा थे। वहीं संगीत संयोजन – रोहित चंद्रा, सारंगी – अनीश मिश्रा, डफ – अभिषेक राज परिकल्पना एवं निर्देशन – बिजेंद्र कुमार टॉक ने किया। इससे पूर्व नुक्कड़ नाटकों की कड़ी में क्रिएशन की ओर से यह दौड़ है किसकी की प्रस्तुति गौतम गुलाल के निर्देशन में की गयी। वहीं कल शाम हुलहुलिया नाटक का मंचन बिजेंद्र टॉक के निर्देशन में किया जाएगा।