शैलेश तिवारी, वरीय संपादक /पटना।राजधानी पटना के प्रेमचंद रंगशाला में हुलहुलिया नाटक के मंचन के साथ पांच दिवसीय 18 वां रंगकर्मी प्रवीण नाट्य उत्सव संपन्न हो गया। रविन्द्र भारती लिखित व विज्येंद्र टॉक निर्देशित इस नाटक में हाशिये पर पड़ी जातियों के दर्द को बखूबी दर्शाया गया। इस अवसर पर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेत कई कलाकारों का अभिनंदन भी किया गया। वहीं हुलहुलिया नाटक का पुस्तक विमोचन भी हुआ। नाटक में यह दर्शाया गया कि किस प्रकार कहलूकहाले नाम का लेखक दुनियाभर में घूमकर विलुप्त हो रही जातियों और उनकी लिपियों पर शोध कर रहा है। उसी क्रम में आदिवासी, पहाड़िया और हुलहुलिया जाति के बीच जाता हैं। वह देखता है कि हुलहुलिया जाति का नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में नहीं है। महीनों से वह संघर्ष कर रहे हैैं। उनके पास कोई भी दस्तावेज नहीं है। जिससे पता चल सके कि वह यहां के नागरिक हैं, जबकि वह पांच छः पीढ़ियों से यहां के नागरिक हैं। एनआरसी सेंटर के चक्कर काटते – काटते हुलहुलिया पागल हो जाते हैं और कईयों की मृत्यु हो जाती है। यह देखकर कहलूकहाले विचलित हो उठता है। उनका नाम नागरिक रजिस्टर में दर्ज कराने के लिए लग जाता हैं। उसी क्रम में वह उद्योगपति से मिलता हैं। उद्योगपति नागरिक रजिस्टर में नाम दर्ज कराने को राजी हो जाता है। मगर इस शर्त पर कि वह अपना शोध किया हुआ पांडुलिपी उस उद्योगपति को दे दे और जिसका लेखक वह कहलाये। कहलूकहाले राजी हो जाता है। हुलहुलिया का नाम नागरिक रजिस्टर में दर्ज हो जाता हैं। पुस्तक प्रकाशित होता है उधर कहलूकहाले नक्सल संदेह में पकड़ा जाता है। सभी कलाकारों ने अपनी बेहतरीन अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। नाटक के पात्रों में कहलूकहाले-मृत्युंजय प्रसाद, अरे – रूबी खातून, छोटे लामा – कुमार स्पर्श मिश्रा, पंथा – कुणाल कुमार, सूत्रधार 1 – रोहित चंद्रा सूत्रधार 2 – अभिषेक राज ड्रामेबाज, बेटी -आराधना रंजन, जाकिटवाला – मिथिलेश रॉय, उपांतचोचे -नीलेश्वर मिश्रा, मालकिन – ईशा नारायण अथी -विवान नान्ही – धनिष्ठा चरनी – बिनीता सिंह, समुझ – राहुल रंजन पुलिस अधिकारी – गौरव, हुलहुलिया – विशाल यदुवंशी, बलवंत, शालिनी थी। वहीं प्रकाश – विनय चौहान, रूप सज्जा= जितेंद्र जीतू, मंच – सुनील कुमार संगीत – राजू मिश्रा, हरमोनियम – रोहित चंद्रा, ढोलक -अभिषेक राज, नृत्य – जितेंद्र चौरसिया, अभिकल्पक -हरिशंकर रवि, लेखक – रविन्द्र भारती, परिकल्पना एवं निर्देशन – बिज्येंद्र कुमार टॉक ने किया था। इससे पूर्व संगीत नाटक पुरस्कार विजेता जिन कलाकारों का अभिनंदन किया गया उनमें वरिष्ठ साहित्यकार ऋषिकेश सुलभ, रंगकर्मी नीलेश्वर मिश्र, रंगकर्मी सुमन कुमार, रंजना झा, वरष्ठि रंगकर्मी मिथिलेश राय, नर्तक व अभिनेत्री सुदीपा बोस, जितेंद्र चौरसिया, रुबी खातून, गणेश प्रसाद सिन्हा, मरत सिंह भारती, रघुवीर मलिक, कुमुद दिवान व प्रेम कुमार मलिक थे।