पटना, ५ जनवरी। ‘अंगिका’ के तपस्वी साधक थे डा नरेश पाण्डेय ‘चकोर’। अंगिका भाषा और साहित्य के लिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन न्योक्षावर कर दिया। वे कोमल भावनाओं से युक्त एक ऋषि-तुल्य भक्त कवि और साहित्यकार थे। वहीं दूसरी ओर नृत्य के ऋषि आचार्य थे डा नगेंद्र प्रसाद ‘मोहिनी’। नई पीढ़ी को नृत्य में प्रशिक्षित करने तथा नृत्य-साहित्य के लेखन में उनका महान अवदान है।यह बातें गुरुवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, आयोजित हुए जयंती-समारोह एवं ‘नववर्षाभिनन्दन कवि-सम्मेलन’ की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि, चकोर जी का प्राण अंगिका में बसता था। डेढ़ सौ से अधिक छोटी-बड़ी पुस्तकों से उन्होंने ‘अंगिका’ का भंडार भरा। अंग-कोकिल डा परमानन्द पाण्डेय के पश्चात वे दूसरे साहित्यकार थे, जिन्हें ‘अंगिका-गौरव’ कहा जा सकता है।डा सुलभ ने मोहिनी जी का स्मरण करते हुए कहा कि उनका संपूर्ण व्यक्तित्व ही मोहक था। वे तन, मन और विचारों से भी सुंदर और गुणी कलाकार तथा आचार्य थे। कलामंत्री के रूप में उन्होंने सम्मेलन को जो सेवाएँ दीं, वो अपूर्व हैं।भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और वरिष्ठ साहित्यकार जियालाल आर्य, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा चकोर के पुत्र डा विधुशेखर पाण्डेय, डा कैलाश ठाकुर, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, ई आनन्द किशोर मिश्र, डा पल्लवी विश्वास तथा डा बी एन विश्वकर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर आयोजित नववर्षाभिनन्दन कवि-सम्मेलन का आरंभ कवयित्री चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, शायरा शमा कौसर ‘शमा’, ब्रह्मानंद पाण्डेय, डा मोहम्मद नसरुल्लाह ‘नस्र’, डा प्रतिभा रानी, डा अर्चना त्रिपाठी, कमल किशोर ‘कमल’, श्याम बिहारी प्रभाकर, अर्जुन प्रसाद सिंह, स्तुति झा, विशाल कुमार, डा राकेश दत्त मिश्र, विनय चंद्र, विनोद कुमार झा तथा अजित कुमार भारती आदि कवियों ने काव्य-पाठ कर नव वर्ष का अभिनन्दन किया। मंच का संचालनकुमार अनुपम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।डा प्रेम प्रकाश, अमन वर्मा, कौशलेंद्र कुमार, अमित कुमार सिंह, नरेंद्र कुमार, डा विभु रंजन, अवध बिहारी शर्मा, प्रेम अग्रवाल, रामाशीष ठाकुर आदि प्रबुद्धजन समारोह में उपस्थित हूँ।