पटना, ३ फरवरी। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ को ‘काशी हिन्दी सम्मान’ के सुप्रतिष्ठ अलंकरण से विभूषित किया गया है। यह सम्मान उन्हें शुक्रवार को, तीन दिवसीय काशी-वाराणासी साहित्य महोत्सव के उद्घाटन-समारोह में प्रदान किया गया। काशी विशवनाथ मंदिर कोरिडोर स्थित सभागार में आयोजित इस भव्य साहित्य-महोत्सव में, यह सम्मान उन्हें माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो के जी सुरेश, इंदिरा गांधी जनजातीय विशविद्यालय, अमरकण्टक के कुलपति प्रो प्रकाशमणि त्रिपाठी,महोत्सव के प्रधान संरक्षक डा रवींद्र किशोर सिन्हा तथा साहित्य सम्मेलन प्रयाग के अध्यक्ष प्रो सूर्यप्रसाद दीक्षित ने संयुक्त रूप से प्रदान किया।इस अवसर पर अपने उद्गार में डा सुलभ ने साहित्य महोत्सव से इस आशय का एक प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार को भेजने का आग्रह किया कि केंद्र सरकार हिन्दी को यथा शीघ्र देश की ‘राष्ट्रभाषा’ घोषित करे। इस अवसर पर साहित्य महोत्सव के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्य सूत्रधार प्रो राम मोहन पाठक, वरिष्ठ गीतकार पं बुधिनाथ मिश्र, बिहार से पधारे साहित्यकार डा संजय पंकज, प्रो अरुण सज्जन, काशी-विशवनाथ मंदिर के न्यासी पं नागेंद्र पाण्डेय, श्री आर के चौधरी, हीरालाल मिश्र मधुकर, डा जितेंद्र नाथ मिश्र समेत देश भर से आए सैकड़ों मनीषी साहित्यकार उपस्थित थे।इस प्रतिष्ठित सम्मान से अलंकृत किए जाने पर बिहार के साहित्यकारों ने हर्ष व्यक्त करते हुए डा सुलभ को बधाई दी ही। बधाई देने वालों में सम्मेलन के प्रधान मंत्री डा शिववंश पाण्डेय, उपाध्यक्ष मृत्युंजय मिश्र करुणेश, डा शंकर प्रसाद, डा अर्चना त्रिपाठी, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, डा आर प्रवेश, चंदा मिश्र, कवि सदानंद प्रसाद, बाँके बिहारी साव, शशि भूषण सिंह, नेहाल कुमार सिंह निर्मल, डा शलिनी पाण्डेय, पूनम आनंद आदि के नाम शामिल हैं।