पटना, १२ फरवरी। भारतीय संत परंपरा में संतकवि रविदास का अत्यंत प्रणम्य स्थान है। अपने लोकप्रिय काव्य “प्रभु जी तुम चंदन, हम पानी” के माध्यम से उन्होंने मनुष्य और परमात्मा के गहन और सूक्ष्म आंतरिक संबंधों और उनकी एकात्मकता की अत्यंत सरल परिभाषा दी है। उनके अनुसार जीवात्मा और परमात्मा की अभिन्नता ही वह मूल सिद्धांत है, जिस पर आध्यात्मिक-चेतना को उन्नयन प्राप्त हो सकता है।यह बातें रविवार को, देव पब्लिक स्कूल, पटेल नगर में, प्रबुद्ध हिंदू समाज द्वारा आयोजित संत रविदास एवं स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि आधुनिक भारत में वैदिक-साहित्य की वैश्विक-स्वीकृति के लिए जिन महापुरुषों ने अपने अमर योगदान दिए, उनमे स्वामी दयानन्द सरस्वती का स्थान अप्रतिम है। वे भारतीय वांगमय के महान भाष्यकार हैं। उनके द्वारा स्थापित संस्था ‘आर्य-समाज’, आज भी भारत की मूल चेतना की संवाहिका बनी हुई है।समाज के अध्यक्ष प्रो जनार्दन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस संयुक्त जयंती समारोह में डा मनोज कुमार गोवर्द्धनपुरी, ई महेंद्र शर्मा,अरुण शंकर, रंजन कुमार मिश्र, डा मनोज कुमार, अरुण कुमार शर्मा, सुनील कुमार, सुरेश कुमार देव, नवीन कुमार सिन्हा, साकेत स्वरित, रत्नेश आज़ाद, अमित कुमार सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।अतिथियों का स्वागत समाज के महासचिव आचार्य पाँचू राम ने तथा मंच का संचालन विद्यालय के निदेशक डा दिनेश कुमार देव ने किया।