पटना, १६ फरवरी। स्वयं अथवा ईश्वर के निकट पहुँचने का सबसे सरल मार्ग है भक्ति। प्रेम जब अपनी पराकाष्ठा पर पहुँचता है, तब भक्ति का उदय होता है। प्रेम का गहरा सबंध विश्वास से है। आस्था उसी गहरे विश्वास की परिणति है। यह विश्वास ही भक्तों की इच्छाओं और आशीर्वाद के फलीभूत होने का कारक और कारण है।यह बातें, गुरुवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, यशस्वी प्राध्यापक और भक्ति-चेतना के कवि प्रो जनार्दन सिंह के भजन-संग्रह ‘साईं भक्ति कली (प्रथम प्रसून) के लोकार्पण-समारोह तथा भक्ति-काव्योत्सव की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि यह भक्ति भी उतनी सरल नहीं है। संत-कवि कबीर दास ने कहा कि – “कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होए / भक्ति करे कोई सूरमा, जाति वरण कुल खोए”। मन में जब ऐसी भक्ति उपजती है, तो प्रभु स्वयं दर्शन देने पहुँचते हैं। एक भक्त पर सदैव ही ईश कृपा बनी रहती है।पुस्तक पर अपनी राय रखते हुए डा सुलभ ने कहा कि कवि ने शिरडी के महान संत साईं के बहाने से ईश्वर के प्रति अपनी गहरी भक्ति-भावना का परिचय दिया है। इनके भजनों में इनका भोलापन और भक्ति का मर्म-स्पर्शी मर्म अभिव्यक्त हुआ है।अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय ने कहा कि श्री साईं की महिमा से भारतीय समाज पूर्ण परिचित है। भक्तों ने उन्हें भगवान का स्थान दे रखा है। पुस्तक के लेखक ने उन्हें उसी रूप में मानते हुए, अपने भजनों की रचना की है। इसमें नवधा भक्ति के सभी तत्व दिखाई देते हैं।अपने कृतज्ञता ज्ञापन में प्रो जनार्दन सिंह ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी लिखा है वह सब उनकी निजी अनुभूति, अनुभव और चिंतन की अभिव्यक्ति है। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, प्रो ब्रह्मानन्द पाण्डेय, डा दीपक शर्मा, आचार्य पाँचू राम, रंजन कुमार मिश्र, लेखक की विदुषी कवि डा नीलम सिंह, प्रो सुशील कुमार झा, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, डा मनोज कुमार, नूतन सिन्हा, डा सीमा यादव, सदानंद प्रसाद, पूजा ऋतुराज ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर आयोजित भक्ति-काव्योत्सव में वरिष्ठ कवि डा सुनील कुमार उपाध्याय, प्रमिला यादव, अभिलाषा कुमारी, डा प्रतिभा वर्मा, अश्मजा प्रियदर्शिनी, ई अशोक कुमार, अर्जुन प्रसाद सिंह, अजित कुमार भारती आदि ने अपने भक्ति-काव्य से सम्मेलन के पर्यावरण को पावन कर दिया। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।डा पाणिदण्ड प्रभाकर, डा महेन्द्र शर्मा, वंदना वर्मा, रूपक शर्मा, अश्विनी कविराज, विजय कुमार तिवारी, सोमनाथ सिंह, अमन वर्मा, सच्चिदानन्द शर्मा, डा प्रेम प्रकाश आदि प्रबुद्धजन समारोह में उपस्थित थे।