CIN ब्यूरो /कोरोना महामारी की मार के बाद से तेजी से बढ़ रही देश की अर्थ व्यवस्था के लिए लगातार बढ़ रही महंगाई एक कमजोरी साबित होती दिख रही है। विगत कुछ महीनों से महंगाई में नरमी दिख रही थी, लेकिन जनवरी महीने से इसमें अचानक वृद्धि होने के कारण महंगाई की आँकड़े बढ़ने लगी है। भारतीय रिजर्व बैंक लगातार महंगाई को करने के प्रयास कर रही है, क्योंकि ब्याज दरों में वृद्धि महंगाई कम करने का ही एक कदम है, लेकिन अभी अपेक्षित सफलता मिलती नहीं दिख रही है। ऐसी स्थिति में प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिशें क्या पर्याप्त हैं?बीते सोमवार (13 फरवरी) को जनवरी में खुदरा महंगाई दर 6.52 फीसदी दर्ज की गई है। यह दर बताता है कि खाद्य सामग्री की कीमतें बढ़ी हैं, जो आम लोगों को परेशानी का कारण है। खास तौर पर गेहूं, चावल और सब्जियां उम्मीद से ज्यादा महंगी हो रही है। अनाज की कीमतों में इस तरह की वृद्धि से इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। विगत पांच महीनों में अनाज की कीमतें लगातार बढ़ी है, इसे नकारा नहीं जा सकता है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष जनवरी में 16 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। या उछाल जून 2013 के बाद सबसे बड़ी उछाल हैं।बढ़ती महंगाई में अंतरराष्ट्रीय कारणों की भी भूमिका अहम होती है। कोरोना के बाद से दुनिया के विकसित देशों में भी महंगाई की मार स्पष्ट देखी जा रही है। अमेरिका में 6.4 फीसदी, यूरोपीय यूनियन में 8.5 फीसदी और ब्रिटेन में 10.5 फीसदी की महंगाई दर दर्ज हुई है। इन देशों से होने वाले आयात का असर भारत पर भी पड़ रहा है, इससे मुकरा नहीं जा सकता है। करीब तीन साल के बाद अब चीन अपना बाजार खोलने जा रहा है, इसलिए कीमतों में और अधिक बढ़ोतरी होने की आशंका जताई जा रही है। इसलिए उम्मीद किया जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस मसले पर गंभीरता से विचार करेगा और समय रहते अन्य जरूरी कदम भी उठाएगा।महंगाई दर को नियंत्रित रखते हुए विकास दर को बढ़ाना हमेशा से देश के सामने चुनौती रही है। महंगाई पर नियंत्रण रखने के लिए जो भी उपाय किए जाते हैं, उनका विकास योजनाओं पर ठीक विपरीत असर पड़ता है। देश में अन्य पार्टियों की सरकार के समय भी ऐसी ही चुनौती रही थी और अब इसी तरह की चुनौती वर्तमान सरकार के समक्ष भी दिख रही है।आगामी लोक सभा आम चुनाव को ध्यान में रखकर सरकार विकास योजनाओं को तेज गति देने का प्रयास कर रही है और इस मामले में किसी तरह का समझौता करने के दिशा में नहीं दिख रही है।देश की वर्तमान सरकार, वैसी गलती नहीं दोहराना चाहती है, जिसके लिए उसने पिछली सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। ऐसी स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक के लिए संतुलन बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती है। रिजर्व बैंक को एक ऐसा रास्ता निकालना होगा, जिससे विकास की रफ्तार और आम लोग महंगाई से ज्यादा प्रभावित न हो।
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