डॉ. संजीव कुमार सिंह की रिपोर्ट /पर्यावरण भारती द्वारा 2008 से लगातार पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षारोपण अभियान चलाया जा रहा है। पर्यावरण संतुलन हेतु वृक्षारोपण ही एक मात्र उपाय है। महा शिवरात्रि उत्सव वर्ष में एक बार होता है। यह वास्तव में प्रकृति पूजन है।
पर्यावरण भारती के संस्थापक राम बिलास शान्डिल्य ने बताया कि भगवान शंकर जी एवं उनका पूरा परिवार प्रकृति से जुड़ा हुआ है। भगवान शिव जी का निवास हिमालय के कैलाश पर है। माता पार्वती जी हिमाचल की पुत्री हैं। भगवान महादेव जी का वाहन नन्दी (बसहा बैल)है।भगवान शिव जी के गले में बिषधर नाग है।उनके जटा से माता गंगा जी प्रवाहित होती हैं। कहा गया है–“जल ही जीवन है।”उनके कान में कुंडल के रूप में जहरीली बिच्छू है। समुद्र मंथन में उन्होंने मानव कल्याण हेतु विष पान किये। अतः उन्हें नीलकंठ महादेव कहा जाता है। महा शिवरात्रि में उनके बारात में सभी जीव शामिल हुए। भूत प्रेत, विकलांग, नंदी इत्यादि ने भाग लिए। उनके बड़े पुत्र कार्तिकेय जी का वाहन मोर है, जो सांप को खा जाते हैं। प्रथम पूज्य देव गणेश जी का वाहन चंहा है। भगवान शिव जी के परिवार में पर्यावरण संतुलन हेतु सभी जीव जन्तु मौजूद हैं। इससे हम मानव को सीख मिलता है कि संसार में सभी जीवों का अस्तित्व आवश्यक है। अतः दुनिया के प्रकृति के देवता भगवान शिव जी के स्मरण में महा शिवरात्रि उत्सव पर वृक्षारोपण पर्यावरण संतुलन हेतु आवश्यक है। संसार के सभी मानव “एक पेड़ देश के नाम” अभियान में जुड़ें।पर्यावरण भारती के वृक्षारोपण में पीयूष कुमार, आशीष कुमार, मनीष कुमार, आयूष कुमार, आर्यन कुमार, प्रियान्शु, प्रीतम कुमार, रौशन कुमार, रौनक कुमार इत्यादि ने भाग लिए।