जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 19 फरवरी::बिहार देश का शायद पहला प्रदेश होगा, जहां राजनीति तो है लेकिन सरकार नहीं है। उक्त बातें जदयू के पूर्व मुख्य प्रवक्ता राजीव सिन्हा ने कही।उन्होंने बताया कि जैसे फाइलों में बिहार की सड़कें चकाचक हैं, उसी तरह बिहार में भी सरकार, कानून व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि भी फाइलों में ही सिमटी हुई हैं। बिहार की फाइलें गुलाबी हैं।राजीव सिन्हा ने कहा कि आज बिहार में जदयू, राजद, कांग्रेस आदि की महागठबंधन की सरकार चल रही है। लेकिन यह कहने को चल रही है कि बिहार में सरकार है, जबकि इस महागठबंधन की सरकार में सबसे बड़ी (प्रमुख) कमजोरी है कि इसमें बौद्धिक गहराई की शून्यता है।उन्होंने कहा कि जदयू के नेतृत्व में बिहार की सरकार है जिसके मुख्य मंत्री नीतीश कुमार हैं। लेकिन जदयू की जो स्थिति है उसमें यह कहना कि इसमें नेता कौन है, एक कठीन प्रश्न है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का अगर इतिहास देखें तो पूरा बिहार जानता है कि प्रदेश अध्यक्ष का इतिहास सफेद नहीं है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के आस पास (इर्दगिर्द) जो लोग आज कुंडली मार कर बैठे हैं, उनकी बौद्धिकता पर बात करना अपनी सोच और लेखनी को अपमानित करने जैसा लगता है।राजीव सिन्हा ने कहा कि सही में जदयू के बौद्धिकता का परिचय- पत्र आरसीपी सिंह थे लेकिन उनके जदयू छोड़ते ही जदयू की बौद्धिकता ही गायब हो गया है। आर सी पी सिंह के पार्टी से हटते ही आज जदयू खुद के अस्तित्व को लेकर संशय और सन्नाटे में खड़ा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी किसी ना किसी बहाने पार्टी कार्यालय और सचिवालय से दूर ही रहने का प्रयास करते दिख रहे हैं। ऐसे में सरकार और संगठन दोनों ही सिर्फ फाइलों में ही सिमट कर रह गया है।