जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना ::रेकी के द्वारा शारीरिक तनाव, बेचैनी एवं दर्द से छुटकारा मिलता है वहीं गठिया, दमा, कैंसर, रक्तचाप, पक्षाघात, अल्सर, एसिडिटी, पथरी, बवासीर, मधुमेह, अनिद्रा, मोटापा, गुर्दे के रोग, आँखों के रोग, स्त्री रोग, बांझपन, कमजोरी और पागलपन दूर करने में समर्थ है। फिजिकल पहलुओं को संतुलित करने में मदद करती है रेकी।मनुष्य के शरीर के चारों तरफ 4-6 इंच के घेरे में ऊर्जा होता है, जिसे अंग्रेजी में AURA भी कहते है।यह AURA रोग एवं तनावग्रस्त व्यक्ति में सिकुड़कर कुछ सेंटीमीटर तक ही रह जाता है।लेकिन ठीक इसके विपरीत जो साधक या सिद्ध-पुरुष होते हैं उनका AURA कुछ मीटर या उससे भी ज्यादा हो जाता है। AURA ऐसे व्यक्ति में भी जो व्यक्ति मन, वचन एवं कर्म से पवित्र होते हैं उनमें भी एक विशाल AURA की संभावनाएं रहती हैं।एक AURA जो हमारे विचारों का या मनस्थिति का घेरा बनाता है वह ऊर्जा शरीर के चारों तरफ 6-8 इंच के घेरे में होती है, जिसे मनोमय शरीर के नाम से भी जाना जाता है। जिसे सभी लोग आम जीवन में भी, स्वस्थ मानसिकता वाले मनुष्य के सानिध्य में होते हैं तो अच्छा और रुग्ण या तनावग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने पर नकारात्मक महसूस करते हैं।ऐसा मन गया है की ऊर्जामय शरीर में, ऊर्जा के कई छोटे-बड़े चक्र (केंद्र) होते हैं। जो शरीर के हर सकारात्मक भावना को नियंत्रित या विकसित करते हैं ये ऊर्जा के केंद्र ब्रह्माण्ड में स्थित होते है। यह ऊर्जा चक्र जितने ज्यादा सक्रिय होंगे, उतने ही ऊर्जावान और सकारात्मक विचारों के होंगे और इससे मनुष्य के रचनात्मकता या आध्यात्मिक स्तर का विकास होता है। जब ऊर्जा केंद्र ठीक तरह से काम नहीं करता है तो अवरोध उत्पन्न होता है, और व्यक्ति नकारात्मक विचारों और कार्यों के कारण, शारीरिक और मानसिक रूप से रुग्न हो जाता है।सबसे बड़ी बात है कि रेकी (AURA) मन को साफ करने में मदद करती है और मन से रिलैक्स को आने की अनुमति देती है। रेकी में, 24 मुख्य छोटे-बड़े ऊर्जा चक्रों या कहें कि महत्वपूर्ण ऊर्जा केंद्रों को, हाथ के स्पर्श कर नियंत्रित करने का अभ्यास है, जिससे व्यक्ति काफी शांत एवं ऊर्जावान महसूस करता है। रेकी के प्रयोग से व्यक्ति में रचनात्मक वृद्धि होती है, व्यक्ति तनाव मुक्त महसूस करता है और साथ ही साथ उनके आध्यात्मिक स्तर का विकास भी होता है।रेकी के अभ्यास की विधि बहुत ही सरल है, जिसे कोई भी व्यक्ति, किसी भी स्थिति में, किसी भी समय, इस्तेमाल कर सकता है। रेकी पारंपरिक योग, प्राणायाम, ध्यान जैसी विधियों का खंडन बिल्कुल नहीं करती है बल्कि रेकी, साधकों के लिए काफी मददगार सिद्ध होती है। बशर्ते किसी योग्य रेकी मास्टर्स द्वारा प्रशिक्षित हो।
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