पटना, २७ फरवरी। प्रयाग हिन्दी साहित्य सम्मेलन का अमृत महोत्सव (७५वाँ) राष्ट्रीय अधिवेशन, अगले वर्ष के मार्च महीने में बिहार में आयोजित किया जाएगा। यह निर्णय सम्मेलन की स्थायी समिति ने विगत २५-२६ फरवरी को, महात्मा गांधी द्वारा १९३६ में स्थापित’राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा (नागपुर) तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संयुक्त तत्त्वावधान में, बापू कुटीर, सेवाग्राम, वर्धा में आयोजित सम्मेलन के ७४वें राष्ट्रीय अधिवेशन में, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ के अनुरोध पर लिया है। डा सुलभ प्रयाग सम्मेलन की स्थायी समिति के भी सदस्य हैं।अधिवेशन में यह प्रस्ताव रखने के पूर्व डा अनिल सुलभ ने अपना विचार रखते हुए कहा कि यह दुखद स्थिति है कि विश्व-व्यापी हो रही हिन्दी को अभी तक अपने ही देश में वह स्थान नही प्राप्त हुआ है, जिसके लिए भारत की संविधान सभा ने १४ सितम्बर, १९४९ को ही निर्णय लिया था। भरत की सरकार के कामकाज की औपचारिक भाषा आज भी अंग्रेज़ी ही बनी हुई है। यह विश्व-समाज के समक्ष प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए वैश्विक लोक-लज्जा का विषय है। अब तो सीधे-सीधे, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय-चिन्ह की भाँति ‘देश की राष्ट्र-भाषा’घोषित होनी चाहिए, जो हिन्दी ही होगी, जिसके पक्ष में संपूर्ण भारत वर्ष है। हमें भारत की समस्त भाषाओं के साथ मधुर संबंध विकसित करते हुए, हिन्दी के उन्नयन में योगदान देना चाहिए।इस राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन साहित्य अकादमी के सचिव डा के श्रीनिवास राव ने किया। दो दिनों में अनेक वैचारिक-सत्र भी संपन्न हुए, जिनमे सम्मेलन और प्रचार समिति के अध्यक्ष प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित, सम्मेलन के प्रधान मंत्री पं विभूति मिश्र, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के प्रधानमंत्री डा हेमचंद्र वैद्य, वरिष्ठ भाषाविद डा दामोदर खड़से, प्रो रामजी तिवारी, डा कन्हैया सिंह, मेरठ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो रवींद्र कुमार, प्रो सभापति मिश्र, डा राम किशोर शर्मा, पटना से गए पर्यावरणविद डा मेहता नगेंद्र सिंह, डा सुनील कुलकरणी तथा सम्मेलन के प्रबंधमंत्री कुंतक मिश्र समेत अनेकों विद्वानों ने अपने व्याख्यान दिए। संचालन पं श्याम कृष्ण पांडेय ने किया।अधिवेशन में देश के विभिन्न प्रांतों से आए सैकड़ों प्रतिनिधियों ने करतल ध्वनि से डा सुलभ के प्रस्ताव में सहमति दी और सम्मेलन के अमृत महोत्सव (७५वें) राष्ट्रीय अधिवेशन के पटना में आहूत होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डा सुलभ को बधाई दी। इस समाचार से बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में भी हर्ष व्याप्त है, जिसे आयोजन का दायित्व प्राप्त हुआ है। डा सुलभ के अनुसार इस विषय पर, कार्यसमिति की अगली बैठक में विस्तार पूर्वक चर्चा होगी।