प्रियंका भारद्वाज -दिल्ली ब्यूरो / सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- मतदान संवैधानिक अधिकार है -कानूनी नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ बता दिया कि हर 18 वर्ष का नागरिक मतदान करने का हकदार है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अगर दोषी है मानसिक रोगी नहीं है तो मतदान करने का संवैधानिक अधिकार रखता है. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अपने पूर्व के फैसलों को असहमति जताते हुए आया है. सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने कहा कि मताधिकार संविधान से मिलता है जो विधायक के गठन के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 168 में है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत का हर एक नागरिक एक नियत तारीख पर कम से कम 18 वर्ष की आयु का है और वह संविधान और विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधि के अधीन अनिवास, अपराध या भ्रष्ट आचरण के आधार पर अजय को घोषित नहीं कर दिया जाता तब तक वह मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार होगा. इससे साफ है कि मतदान का अधिकार संवैधानिक हक है. इसको कानूनी नहीं कहा जा सकता.