पटना ब्यूरो , २४ मार्च। सूक्ष्म आध्यात्मिक साधना पद्धति ‘इस्सयोग’ , युगावतार महात्मा सुशील कुमार का आधुनिक संसार को दिया गया सर्वोत्तम आध्यात्मिक अवदान दिया है। यह एक ऐसी साधना पद्धति है, जिसका आश्रय लेकर एक साधक अपना लौकिक और पार-लौकिक, दोनों ही, जीवन को सुधार सकता है। यह ब्रह्म-प्राप्ति और रोग-मुक्ति का चमत्कारी साधन भी है।यह बातें शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान में, गोलारोड स्थित इस्सयोग-भवन में महात्माजी के महानिर्वाण की स्मृति में आयोजित इस माह के समारोह में अपना आशिर्वाचन देती हुईं, संस्था की अध्यक्ष और ब्रह्मनिष्ठ सदगुरुमाता माँ विजया जी ने कही। माता जी ने कहा कि ‘इस्सयोग’ की साधना से दिव्य शक्तियाँ प्राप्त होती हैं, जिनसे पूर्व जन्मों के और वर्तमान के कर्म-भोग कटते हैं और जीवन में ऊन्नति होती है। साधक को धैर्यवान होना चाहिए। धैर्य, श्रद्धा और विश्वास से की गई साधना कभी विफल नहीं होती।यह जानकारी देते हुए, संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि कार्यक्रम का आरंभ सदगुरु के आह्वान की साधना के पश्चात भजन-संकीर्तन से हुआ। श्रद्धांजलि-स्वरूप चास,बोकारो की साधिका मंजीता अंजलि, राज कुमार प्रसाद, बंगलुरु से आए साधक राम कृष्ण, अर्चना पाण्डेय, राहूल कुमार, पुरुषोत्तम कुमार आदि ने अपने उद्गार प्रकट किए।इस अवसर पर संस्था के संयुक्त सचिव ई उमेश कुमार, लक्ष्मी प्रसाद साहू, सरोज गुटगुटिया, अनंत कुमार साहू, किरण प्रसाद, ममता जमुआर, गायत्री प्रदीप, ए के खरे, राजेश जौहरी , राजीव कुमार सिंह, रविकान्त, राजीव चौधरी, अमेरिका से आए डा मनोज राज समेत सैकड़ों की संख्या में इस्सयोगी साधक एवं साधिकाओं की उपस्थिति रही।