कौशलेन्द्र पाराशर -पटना से रिपोर्ट /नई शिक्षक बहाली नियमावली का विरोध शुरू,क्या चाचा CM नीतीश ने भतीजा DCM तेजस्वी के कर दिया होम्योपैथिक इलाज। नीतीश कैबिनेट ने 4 वर्षों के इंतजार के बाद फैसला लिया कि अब शिक्षकों की बहाली आयोग के माध्यम से होगी। इसके लिए अब आयोग परीक्षा लेगा। किस आयोग को परीक्षा लेने की जिम्मेदारी मिलेगी राज्य सरकार बाद में तय करेगी।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियमावली 2023 को मंजूरी दे दी गई. उसके बाद तुरंत शिक्षा विभाग की तरफ से दी सूचना जारी कर दी गई। जैसे ही 2019 पास STET अभ्यार्थियों ने शिक्षक नियमावली को पढ़ा उसके बाद विरोध शुरू हो गया। दूसरी तरफ कार्यरत शिक्षकों ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया। STET 2019 पास अभ्यर्थी मृणाभ कुमार ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की नियत साफ नहीं है। वें नियुक्ति नहीं करना चाहते हैं। 2019 में हम लोगों ने बिहार बोर्ड के द्वारा आयोजित STET परीक्षा बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर के अध्यक्षता में पास की थी। बीपीएससी के तर्ज पर आनंद किशोर ने परीक्षा लिया था। पश्चिम चंपारण शिक्षक माध्यमिक संघ के अध्यक्ष सनाउल्लाह ने कहा कि 2024 और 2025 के चुनाव में हम लोग नीतीश और तेजस्वी को बता देंगे। अभ्यर्थियों ने सवाल किया कि महागठबंधन जब बीपीएससी से परीक्षा लेना चाहती थी तो छात्रों को 4 साल से ठगने का काम क्यों किया। विद्यार्थियों ने सवाल किया कि 4 साल से बहाली को नीतीश कुमार ने क्यों लटका कर रखा। कुछ शिक्षक अभ्यार्थियों ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर ही सवाल उठाते हुए ऐसा शिक्षक नियमावली दे दिया कि जिससे तेजस्वी यादव को आने वाले चुनाव में घाटा ही घाटा हो। शिक्षक अभ्यर्थी और शिक्षकों के द्वारा लगातार 2023 नियमावली का विरोध किया जा रहा है। मोहम्मद मारूफ आलम ने कहा कि यह सरकार का बिल्कुल गलत फैसला है। नियमावली तुरंत वापस होना चाहिए। शिक्षक संघ के नेता अश्विनी पांडे ने कहा कि यह शिक्षक अभ्यर्थियों को ठगने का काम कर रही है सरकार। अश्विनी पांडे ने कहा कि जो महागठबंधन का मेनिफेस्ट होता उसका पालन करना चाहिए आरजेडी को।