पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन के साथ मुलाकात के दौरान एक बार फिर कहा कि पाकिस्तान ‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई’ के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि उनके देश ने इस्लामी चरमपंथियों के खिलाफ लड़ाई में ‘नतीजे दिए’ हैं अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में हाल के कुछ सालों में गिरावट आई है और वॉशिंगटन इस्लामाबाद पर आतंकवाद को लेकर आंख बंद करने या अफगान तालिबान व हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों की मदद का आरोप लगाता है जो अफगानिस्तान में आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं। पाकिस्तान इन आरोपों को खारिज करता आया है।
राष्ट्रपति डॉन्ड ट्रंप ने साफ किया है कि अगर पाकिस्तान अपने रवैये के नहीं बदलता तो उसके साथ सख्ती से पेश आएंगे। इतना ही नहीं अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान को मिलने वाली मदद में कटौती की भी धमकी दी है।
एशिया और मिडल ईस्ट के दौरे पर आए रेक्स टिलरसन मंगलवार दोपहर को पाकिस्तान पहुंचे और अब्बासी से मुलाकात के साथ-साथ पाकिस्तान के ताकतवर आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा से भी मुलाकात की।
अब्बासी ने टिलरसन से कहा, ‘हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रतिबद्ध हैं।’ बाजवा के बगल में बैठे अब्बासी ने कहा, ‘हमने नतीजे दिए हैं और हम अमेरिका के साथ मिलकर एक शानदार रिश्ता बनाने की ओर देख रहे हैं।’ वहीं टिलरसन ने पाकिस्तानी शिष्टमंडल से कहा कि परमाणु शक्तिसंपन्न पाकिस्तान इस क्षेत्र में अमेरिका का अहम सहयोगी है।
टिलरसन ने कहा, ‘पाकिस्तान क्षेत्र में शांति और सुरक्षा उपलब्ध कराने के हमारे संयुक्त लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा शानदार आर्थिक संबंधों के लिहाज से भी पाकिस्तान अहम है।’
अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान की मदद की वजह से अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्तों में ठंडापन दिख रहा है। इसके अलावा अमेरिका की भारत के साथ बढ़ती नजदीकी पाकिस्तान को रास नहीं आ रही है।
टिलरसन ने पिछले हफ्ते कहा था कि ट्रंप प्रशासन नई दिल्ली के साथ ‘नाटकीय रूप से गहरा’ सहयोग चाहता है। ट्रंप भी अफगानिस्तान में भारत की बड़ी भूमिका का आह्वान कर चुके हैं। लेकिन भारत के साथ अमेरिका के गहरे होते रिश्तों ने पाकिस्तान को चिंतित कर दिया है। पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारत की बड़ी भूमिका को खारिज कर चुका है।